गुड़ी पड़वा 2023| Gudi Padwa 2023| 22 March

gudi padwa mahurat 2023 by astrologer arun ji

गुड़ी पड़वा

हिन्‍दु नववर्ष की शुरूवात, हर हिन्‍दु के लिये होता है ये दिन खास

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं। इस दिन से हिन्दू नव वर्ष आरंभ होता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर भी शुरू होता है। अतः इस तिथि को ‘नवसंवत्सर’ भी कहते हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है।

प्रतिपदा तिथि- 

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 21 मार्च, 10:55 pm

प्रतिपदा तिथि समाप्‍त – 22 मार्च, 08:23 pm

चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएं फलते-फूलते हैं। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।

कई लोगों की मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (गुड़ी) फहराए। आज भी घर के आंगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा नाम दिया गया।

गुड़ी पड़वा का त्योहार 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन को कर्नाटक में उगादि और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी के नाम से मनाया जाता है। कश्मीर में ‘नवरेह’, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा कहा जाता है। वहीं गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वो का पर्व मनाते हैं। सिंधि समुदाय के लोग इस दिन चेती चंड का पर्व मनाते हैं।

गुड़ी पड़वा या नव संवत्सर के दिन प्रातः नित्य कर्म कर तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर देश काल के उच्चारण के साथ पूजन करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।

 

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा में, गुड़ी का अर्थ है विजय पताका, और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा। 

 

इस त्योहार पर लोग अपने घरों को पताका, ध्वज और बंधनवार से सजाते हैं। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। 

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से महाराष्ट्र में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत या नए साल की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार नए साल की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और इस दिन इस पर्व को मनाने की परंपरा है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गोवा सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में खुशी के साथ मनाया जाता है। 

  • सम्राट शालिवाहन द्वारा शकों को पराजित करने की ख़ुशी में लोगों ने घरों पर गुड़ी को लगाया था।
  • कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए भी गुड़ी लगाते हैं।
  • यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इसीलिए गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी माना जाता है। इसे इन्द्र-ध्वज के नाम से भी जाना जाता है।
  • वहीं पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने इसी दिन बालि का वध करके लोगों को उसके आतंक से छुटकारा दिलाया था। इस दिन को लोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। यही वजह है कि इस खुशी के मौके पर घरों के बाहर रंगोली बनाई  हैं और विजय पताला लहराकर जश्न मनया जाता है।
  • भगवान राम द्वारा 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आने की याद में भी कुछ लोग गुड़ी पड़वा का पर्व मनाते हैं।
  • माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर में समृद्धि आती है।
  • गुड़ी को धर्म-ध्वज भी कहते हैं; अतः इसके हर हिस्से का अपना विशिष्ट अर्थ है–उलटा पात्र सिर को दर्शाता है जबकि दण्ड मेरु-दण्ड का प्रतिनिधित्व करता है।
  • किसान रबी की फ़सल की कटाई के बाद पुनः बुवाई करने की ख़ुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं। अच्छी फसल की कामना के लिए इस दिन वे खेतों को जोतते भी हैं।
  • हिन्दुओं में पूरे वर्ष के दौरान साढ़े तीन मुहूर्त बहुत शुभ माने जाते हैं। ये साढ़े तीन मुहूर्त हैं–गुड़ी पड़वा, अक्षय तृतीया, दशहरा और दीपावली को आधा मुहूर्त माना जाता है।

हिन्‍दु नववर्ष का महत्‍व

हिन्दू नववर्ष हजारों वर्षो से हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण दिनों में शामिल रहा है। हिन्दू धर्म में नववर्ष को नवीनताऔर नवाचार का प्रतीक माना गया है एवं इस अवसर पर पूजा-पाठ एवं विभिन प्रकार के शुभ कार्यो को करने की परंपरा रही है। हिन्दू नववर्ष को विक्रम संवत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है जिसकी शुरुआत उज्जैन के महान शासक विक्रमादित्य द्वारा शकों को पराजित करने के उपलक्ष में 58 ई. पू. (58 B.C) में की गयी थी।

वैज्ञानिक पद्धति से तैयार किया गया विक्रम संवत कैलेंडर पूर्ण रूप से वैज्ञानिक गणना पर आधारित है जहाँ नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में मनाया जाता है। चैत्र माह में प्रकृति में चारों ओर उत्साह एवं सौंदर्य प्रदर्शित होता है एवं बसंत ऋतु का आगमन होता है। हिन्दू नववर्ष के अवसर पर सम्पूर्ण प्रकृति ही नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार प्रतीत होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी हिन्दू नववर्ष को बहुत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। 

हिन्दू नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिवस हिन्दू समुदाय में नवीन उत्साह का संचार करता है एवं नवीन वर्ष के अवसर विभिन प्रकार के नए संकल्प लिए जाते है। हिन्दू नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाने के पीछे ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, प्राकृतिक एवं नैसर्गिक कारण कारण है। 

चैत्र माह की शुक्‍ल पक्ष की प्रि‍तपदा तिथि को नववर्ष मनाने के पीछे महत्‍वपूर्ण बिन्‍दु निम्‍न प्रकार है-

ऐतिहासिक कारण

हिन्दू नववर्ष को विक्रम सम्वत कैलेंडर के आधार पर मनाया जाता है। इस कैलेंडर की शुरुआत भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा शकों को पराजित करने एवं राज्याभिषेक के अवसर पर 58 ई.पू. में की गयी थी। प्रतिवर्ष विक्रम सम्वत के आधार पर हिन्दू नववर्ष चैत्र माह में शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।

पौराणिक कारण

ब्रह्मांड निर्माण का दिवस- पौराणिक ग्रंथों के अनुसार नववर्ष के अवसर पर ही ब्रह्मा जी ने इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था। यही कारण है की इस दिवस को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू नववर्ष के प्रारम्भ होने के पौराणिक कारणों में विभिन तथ्यों को माना जाता है जिनमे में कुछ कारण निम्न है-

  • माना जाता है की इस दिन प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था।
  • इस दिवस के अवसर पर ही प्रभु राम द्वारा बाली का वध किया गया था।
  • धर्मराज युधिष्ठर का राज्याभिषेक दिवस भी हिन्दू नववर्ष के दिन माना जाता है।
  • लंकापति रावण के विजय के अवसर पर इस दिवस अयोध्यावासियों ने अपने घरो पर भगवान राम के सम्मान में विजय पताका फहराई थी।
  • नवरात्र की शुरुआत भी नववर्ष से मानी जाती है।

आध्यात्मिक कारण

हिन्दू नववर्ष के अवसर पर जीवन में नवीनता एवं उत्साह की शुरुआत मानी जाती है। भारतीय अध्यात्म में नवीनता एवं बदलाव को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग माना गया है ऐसे में नववर्ष को जीवन में नवीन शुरुआत के आरम्भ के रूप में भी माना जाता है।

प्राकृतिक कारण

हिन्दू नववर्ष हमारे देश में बसंत ऋतु के आगमन का अवसर होता है ऐसे में प्रकृति में चारों ओर हरियाली छायी रहती है। शरद ऋतु के पतझड़ के बाद वृक्षों पर नयी कोपलें जीवन की नवीनता का संदेश देती है। चारों ओर नए फूल, फल एवं पत्तियाँ मानों नए साल के स्वागत का संदेश लेकर आयी हुयी प्रतीत होती है।

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चैत्र नवरात्रि 2023| Chaitra Navratri 2023

chaitra navratri mahurat 2023 astro arun ji

चैत्र नवरात्रि 2023

जानें शुभ मुहुर्त, महत्‍व और नौ देवियों के विशेष मंत्र

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष। चैत्र और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है वहीं आषाढ़ और माघ की गुप्त नवरात्रि में मां अंबे की 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन गुड़ी पड़वा और चेती चांद का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी के भक्त घटस्थापना करते हैं, नौ दिनों तक व्रत रखकर शक्ति साधना की जाती है।

चैत्र नवरात्रि 2023 शुभ मुहूर्त-

चैत्र प्रतिपदा प्रारम्भ – 21 मार्च, मंगलवार, रात 10:55 से

चैत्र प्रतिपदा समाप्त – 22 मार्च, बुधवार, रात 08:23 तक

चैत्र नवरात्रि – 22 मार्च 2023 (उदया तिथि की मान्यता के अनुसार)

घटस्थापना, व्रत मुहूर्त – 22 मार्च सुबह 06:23 से 07:32 बजे तक

नवरात्रि व्रत पारण – 31 मार्च, शुक्रवार, सुबह 06:13 बजे के बाद

हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। यह भारतीय सनातन धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार है, इसी दिन से हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है। जिसकी स्थापना महाराज विक्रमादित्य ने की थी, इसलिए इसे विक्रम संवत कहा जाता है। इस दिन से ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन से सम्पूर्ण प्रकृति में भी नयी शुरुआत होती है। कई सकारात्मक परिवर्तन के साथ ही नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र प्रतिपदा से अगले 9 दिनों तक माँ भगवती के 9 रूपों की उपासना शुरू होती है जिसे चैत्र की नवरात्रि कहा जाता है। नवमी तिथि पर श्रीराम चन्द्र जी के जन्मदिवस रामनवमी के दिन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है और दशमी तिथि को व्रत पारण के साथ नवरात्रि का समापन होता है। इस पावन त्यौहार में कई तरह की आध्यात्मिक शक्तियों को पाने के लिए साधक गण माँ दुर्गा की विशेष पूजा-अनुष्ठान और साधना करते हैं।

पूजा विधि-

नवरात्र के दिन प्रातः जल्दी उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर 9 दिन तक व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। उगते सूर्य को अर्घ्य देकर नव वर्ष की शुरुआत करनी चाहिए। पूरे वर्ष मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहने का संकल्प लेना चाहिए और माँ दुर्गा का मन ही मन स्मरण करते हुए प्रत्येक कार्य करने चाहिये। सुबह माता दुर्गा की घर या मन्दिर में जाकर षोडशोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए। माता को खीर का भोग लगाना चाहिए और सभी को प्रसाद देना चाहिए। यदि नवमी तिथि दो दिन पड़ रही हो, तब उस स्थिति में पहले दिन उपवास रखा जाएगा और दूसरे दिन पारण होगा। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। जैसा की नवमी नवरात्रि पूजा का अंतिम दिन है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की षोडषोपचार पूजा करके विसर्जन करना चाहिए।

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष। चैत्र और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है वहीं आषाढ़ और माघ की गुप्त नवरात्रि में मां अंबे की 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन गुड़ी पड़वा और चेती चांद का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि में देवी के भक्त घटस्थापना करते हैं, नौ दिनों तक व्रत रखकर शक्ति साधना की जाती है।

चैत्र नवरात्रि के नौ दिन-

22 मार्च 2023 – चैत्र प्रतिपदा तिथि- मां शैलपुत्री पूजा

23 मार्च 2023 – चैत्र द्वितीया तिथि- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

24 मार्च 2023 – चैत्र तृतीया तिथि- मां चंद्रघण्टा पूजा

25 मार्च 2023 – चैत्र चतुर्थी तिथि- मां कुष्माण्डा पूजा

26 मार्च 2023 – चैत्र पंचमी तिथि- मां स्कंदमाता पूजा

27 मार्च 2023 – चैत्र षष्ठी तिथि- मां कात्यायनी पूजा

28 मार्च 2023 – चैत्र सप्तमी तिथि- मां कालरात्री पूजा

29 मार्च 2023 – चैत्र अष्टमी तिथि- मां महागौरी पूजा, महाष्टमी

30 मार्च 2023 – चैत्र नवमी तिथि- मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी

नौ दिन नौ देवियां और सिद्ध मंत्र

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 को है। नवरात्रि व्रत कुल नौ दिन तक चलेंगे। नवरात्रि में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक अलग -अलग देवियों की पूजा की जाती है। हर देवी का स्वरुप और महत्व अलग-अलग है। ऐसे ही देवियों की पूजा विधि और उन्हें प्रसन्न करने के मंत्र भी अलग-अलग है। एस्‍ट्रो अरूण पंडित के द्वारा यहां बताया जा रहा है चैत्र नवरात्रि में देवि के नौ स्‍वरूप और उन्‍हें प्रसन्‍न करने के विशेष मंत्र-

शैलपुत्री-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शैलपुत्री देवी, देवराज हिमालय की बेटी हैं। यही मां नव दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है।

शैलपुत्री का मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

मंत्र का फल- मान्यता के अनुसार, इस मंत्र के जाप से शरीर निरोगी रहता है और बीमारियां पास नहीं आती हैं।

ब्रह्मचारिणी -

नवदुर्गा का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी हैं। इनके हाथों में कमण्डल और माला है। मान्यता के अनुसार, माता पार्वती के घोर तप करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी देवी पड़ा।

ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मंत्र का फल – इस मंत्र के सटीक जाप से सौभाग्य का वरदान मिलता है।

मां चंद्रघंटा-

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। देवी अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के संहार के लिए तैयार रहती हैं।

मां चंद्रघंटा का मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥

मंत्र का फल – इस मंत्र के प्रभाव से जातक के पाप और परेशानियों का क्षय होता है।

मां कुष्मांडा-

देवी दुर्गा का चौथा रूप कुष्मांडा देवी का है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण जगत जननी भी कहा जाता है। मां की आठ भुजाएं हैं जिनमें वे कई शस्त्र धारण करती हैं और मां सिंह पर सवार रहती हैं।

कुष्मांडा माता का मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मंत्र का फल- इस मंत्र के प्रभाव से जातक के यश में वृद्धि होती है और व्याधियों का नाश होता है।

मां स्कंदमाता-

स्कंदमाता मां नव दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। स्कंदमाता की गोद में शिव जी के पुत्र कार्तिकेय बैठे रहते हैं। स्कंदमाता को कार्तिकेय की मां कहा गया है।

स्कंदमाता का मंत्र- नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

मंत्र का फल – ये मंत्र भक्तों को शुभ फल देने वाला और उनकी इच्छा पूरी करने वाला माना जाता है।

मां कात्यायनी-

कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने वाली कात्यायनी देवी को मां दुर्गा का छठा रूप माना गया है। कात्यायनी की उपासना से पापों का नाश होता है।

मां कात्यायनी का मंत्र- नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ 3। कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

मंत्र का फल – विवाह में बाधा आ रही है तो इस मंत्र का जाप करें।

मां कालरात्रि–

मां कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। हाथ में खड्ग और नरमुण्ड धारण करने वाली कालरात्रि दुष्टों का नाश कर भक्तों की डर से मुक्त करने वाली मानी गई हैं।

मां कालरात्रि का मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:।

मंत्र का फल- मान्यता है कि मंत्र के जाप से जातक को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

मां महागौरी-

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा का विधान है। मान्यता के अनुसार, तपस्या के कारण देवी का शरीर श्याम हो गया था लेकिन शिव जी ने जब उन पर अभिमंत्रित जल छिड़का तो वे पुनः गौर वर्ण हो गईं।

मां महागौरी का मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मंत्र का फल- ये मंत्र जातक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।

मां सिद्धिदात्री-

दुर्गा माता का नवां रूप मां सिद्धिदात्री है। मान्यता है कि इनकी पूजा से सिद्धियों की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में सुख और सौभाग्य बना रहता है।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

मंत्र का फल- मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र के विधिवत जाप से सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

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  • महाशिवरात्रि 2023 का शुभ मुहूर्त
  • महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
  • सम्पूर्ण शिव पूजा सामग्री
  • महाशिवरात्रि विशेष पूजन विधान
  • गौरी-गणेश पूजा
  • शिव अभिषेक विधान

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For some zodiac signs, this month is going to bring gifts, while some zodiac signs need to be alert. In today’s video, know the monthly horoscope of Aries, Taurus, Gemini, Cancer, Leo and Virgo. With the February 2023 Horoscope, you will also get the best solution for you according to the planets, following which you can definitely improve your month.

मेंष राशि के लिये अनुकूल है फरवरी का माह /The month of February is favorable for Aries.

मेष राशि- मेष राशि के लिये फरवरी का यह माह सामान्‍य रहने वाला है। कार्यक्षेत्र में यह महीना अनुकूल है। सीखने की चाह से कुछ नये बदलाव आयेंगें। आप इस माह अपने मन से ज्‍यादा मेहनत करेंगें और आपके विचारों में कुछ त्‍याग की भावना आयेगी। आखों से संबंधित कुछ परेशानी हो सकती है। पिता या दादा जी के स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखें। प्रेमी संबंधों में या साथी के साथ थोड़ा अलगाव महसूस हो सकता है। परिवार को पूरा सहयोग रहेगा। फरवरी में कुछ पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकते हैं।

Aries- This month of February is going to be normal for Aries. This month is favorable in the workplace. Willingness to learn will bring some new changes. You will work harder than your mind this month and there will be some sense of sacrifice in your thoughts. There may be some problem related to the eyes. Take care of the health of father or grandfather. There may be a feeling of separation in a loving relationship or with a partner. There will be full cooperation of the family. Some family auspicious work can happen in February.

मेष राशि के लिये उपाय- खाने की चीज़ो का दान करें। बजरंगबली को लड्डुओं का भोग लगायें और उसका प्रसाद रूप में वितरण करें। 

Remedy for Aries – Donate food items. Offer laddoos to Bajrangbali and distribute it as Prasad.

मिथुन राशि, विद्यार्थियों के लिये सकारात्‍मक है यह माह/ Gemini, this month is positive for students

मिथुन राशि- शनि की ढ़ैय्या आपके राशि पर समाप्‍त हो रही है। दूसरों से सीखना, चीज़ों काे ऑब्‍जर्व करना अब आपकी आदत में आयेगा। जॉब से जुड़े हुये लोगाें का वर्कलोड बढ़ेगा। आर्थिक पक्ष में उतार-चढ़ाव रहेगा इस माह। शुक्र के प्रभाव से शुरूवात में खर्चे बढ़ेंगें वहीं बाद में कहीं से धन मिलने की संभावना भी है। प्रेमी संबंधों में झगड़े और थोड़े मनमुटाव हो सकते हैं वहीं वैवाहिक जीवन में ज्‍यादा आत्‍मियता बढ़ेंगी। मौसी, चाचा या बुआ की वज़ह से आपको कुछ परेशानी आ सकती है। विद्यार्थियों के लिये फरवरी का महीना बहुत सकारात्‍मक है,आप नई ऊर्जा महसुस करेंगें।

Gemini-Shani’s bed is ending on your zodiac sign. Learning from others, observing things will now become your habit. The workload of the people associated with the job will increase. There will be ups and downs in the economic side this month. Due to the effect of Venus, the expenses will increase in the beginning, while later there is a possibility of getting money from somewhere. There can be quarrels and little estrangement in loving relationships, while there will be more intimacy in married life. You may face some problems because of your aunt, uncle or aunt. The month of February is very positive for the students, you will feel new energy.

मिथुन राशि के उपाय- किसी बड़े काम के‍ लिये निकलने के पहले हथेली में हल्‍दी मलें। गुरू का आशिर्वाद लें। केले के पेड़ को जल दें और ‘ओम गुरूवे नम:’ मंत्र का जाप करें।

Remedies for Gemini- Rub turmeric in your palm before leaving for any big work. Take the blessings of the Guru. Water the banana tree and chant the mantra ‘Om Guruve Namah’.

सिंह राशि, विद्यार्थियों के लिये शुभ है यह माह/ Leo zodiac, this month is auspicious for students

सिंह राशि- सिंह राशि के जातकों को हर क्षेत्र में अपने काम की सराहना सुनने की आशा रहती है और इस माह आपको यही बात परेशान कर सकती है क्‍योंकि कार्यक्षेत्र में आपके काम को क्रिटिसाइज़ किया जा सकता है या आपके काम का क्रेडिट किसी और को मिल सकता है। इससे आपका मन अशांत हो सकता है। सातवे भाव में शनि बैठा है अत: अधिक खर्चों या उधार देने से बचे। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिये यह माह बहुत शुभ होने वाला है। स्‍वास्‍थ्‍य में थोड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। कार्यसद्धि योग बन रहे हैं, पिता का सहयोग मिलेगा। प्रेम संबंधों में अधिक उत्‍तेजना होगी आप रिश्‍तों को और प्रागढ़ बनाने के लिये मेहनत करेंगें। 

Leo sun sign-The natives of Leo zodiac expect to hear appreciation for their work in every field and this month this may bother you as your work may be criticized in the workplace or someone else may get credit for your work. This can make your mind restless. Saturn is sitting in the seventh house, so avoid excessive expenses or lending. This month is going to be very auspicious for the students in the field of education. There can be slight ups and downs in health. Karyasiddhi Yoga is being made, father’s support will be available. There will be more excitement in love affairs, you will work hard to make the relationship stronger.

सिंह राशि के उपाय- पांच मुखी और एक मुखी रूद्राक्ष धारण करें। राजनीति के क्षेत्र में रूचि रखने वालों को मूंगा रत्‍न धारण करना चाहिये।

Remedies for Leo zodiac sign- Wear five faced and one faced Rudraksh. Those interested in the field of politics should wear coral.

वृषभ राशि, प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन में खुशियॉं लायेगा यह माह/ Taurus, this month will bring happiness in love affairs and married life

वृषभ राशि- इस माह आपमें कुछ नया सीखने की उमंग व आध्‍यात्‍म की तरफ रूझान दिखाई देगा। जॉब व कार्यक्षेत्र में भी आप ज्‍यादा जुनून के साथ नये बदलावों के लिये उत्‍सुक दिखाई देंगें। पारिवारिक मामलों में इस माह शांति आयेगी। थोड़े बहुत मनमुटाव हो सकते है। माता- पिता या सास के साथ मनमुटाव महसूस करेंगें। निवेश इस माह आपके लिये लाभदायक है। स्‍टूडेंट के लिये इस माह मन भटकने जैसी परेशानी हो सकती है। जीवन साथी य प्रेमसंबंधों के लिये यह माह बहुत शुभ होने वाला है। स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में यह माह सामान्‍य है। 

This month, you will see the enthusiasm to learn something new and the inclination towards spirituality. In job and workplace also, you will be seen eager for new changes with more passion. There will be peace in family matters this month. There can be some estrangement. Will feel estrangement with parents or mother-in-law. Investment is beneficial for you this month. There can be problems like wandering of the mind for the students this month. This month is going to be very auspicious for life partner and love affairs. This month is normal in terms of health.

वृषभ राशि के लिये उपाय- भ्रामरी योग और निद्रा योग करें। सूर्यास्‍त के पश्‍चात अपने घर के दक्षिण में तिल के तेल का दिया जलाये। दूर्गा मां की आराधना करें।

Remedy for Taurus- Do Bhramari Yoga and Nidra Yoga. After sunset, light a sesame oil lamp in the south of your house. Worship Durga Maa.

कर्क राशि, शनि की ढ़ैय्या के दिखेगें प्रभाव/ Cancer zodiac, effects of Saturn's bed will be seen

कर्क राशि- अपने साथियों और सीनियर्स से अच्‍छे संबंध बनायें। व्‍यवसाय में कोई नया प्रतिद्वंदी आपको परेशान कर सकता है। पैसे अपने पास न रखें, इस माह आपके पैसे चोरी होने या गिर जाने की संभावना है। विद्यार्थियों को इस माह मानसिक व शारीरिक स्‍वास्‍थ्य का ध्‍यान रखना होगा। कर्क राशि के जातकों पर शनि की ढ़ैय्या प्रांरभ हुई है अत: शनि का प्रभाव आपको दिखेगा। पारिवारिक माहौल अच्‍छाा रहेगा। प्रेमी संबंधों में खुशखबरी मिल सकती है। स्‍वास्‍थ्‍य में थोड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य की तरफ ध्‍यान दें क्‍योंकि बाद में स्‍वास्‍थ्‍य की लापरवाही महंगी पड़ सकती है। 

Cancer-Make good relations with your colleagues and seniors. A new rival in business can bother you. Do not keep money with you, there is a possibility of your money being stolen or dropped this month. Students have to take care of their mental and physical health this month. Shani’s bed has started on the people of Cancer, so you will see the effect of Shani. Family atmosphere will be good. Good news can be found in loving relationships. There can be slight ups and downs in health. Pay attention to health because later the negligence of health can be costly.

कर्क राशि के उपाय- सात मुखी रूद्राक्ष धारण करें। हर शनिवार को शनि निलांजन मंत्र का जाप करें।

Remedies for Cancer- Wear seven faced Rudraksh. Chant Shani Nilanjan Mantra every Saturday.

कन्‍या राशि इस माह शादी के बन सकते हैं संयोग/ Virgo can become a coincidence of marriage this month

कन्‍या राशि- राहु आपके कार्यक्षेत्र में प्रभाव डालेंगें। जॉब के क्षेत्र में परेशानी हो सकती है जबकी व्‍यापार का क्षेत्र सामान्‍य रहेगा इस माह। आर्थिक पक्ष अच्‍छा रहने वाला है। जिनका जन्‍म फरवरी में हुआ है उन्‍हें जॉब में अच्‍छी खबर या नये अवसर मिल सकते हैं। बड़ी बहन या माता के स्‍वास्‍थ्‍य में उतार-चढ़ाव हो सकता है। नये सौदे या निवेश के लिये यह माह अच्‍छा है। शिक्षा के लिये यह माह औसत रहने वाला है। प्‍लानिंग के साथ क्रियान्‍वयन करें। शुक्र का आपके प्रेम भाव में गोचर से आपका शादी के लिये पक्‍का विचार बन सकता है। 

Virgo sun sign-Rahu will make an impact in your workplace. There may be problems in the field of job whereas the business sector will be normal this month. The economic side is going to be good. Those born in February can get good news or new opportunities in the job. There can be ups and downs in the health of elder sister or mother. This month is good for new deals or investments. This month is going to be average for education. Execute with planning. With the transit of Venus in your love house, you can have a solid idea for marriage.

कन्‍या राशि के उपाय- चाँद के गिलास से पानी पियें, चॉंदी धारण करें। राहु के बीज मंत्र का जाप करें।

Remedies for Virgo- Drink water from the moon’s glass, wear silver. Chant the Beej Mantra of Rahu.

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Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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म‍हाशिवरात्रि पूजा विधि

म‍हाशिवरात्रि पूजा विधि

सम्पूर्ण शिव पूजा सामग्री /Complete Shiva worship material-

सम्पूर्ण शिव पूजा सामग्री /Complete Shiva worship material-

  • घर की सामग्री-

    शुद्ध जल, एक बड़ा पटा या चौरंग, बैठने की आसान, बामी की मिट्टी या चिकनी काली मिट्टी शिवलिंग बनाने हेतु, दूध, पूजा थाल, पंचपात्र, तांबे का लोटा, फूल (धतूरा, अकोना, मोगरा), बेलपत्र, शमीपत्र, दूर्वा, पवित्री ( दूर्वा से बनी अंगूठी ) गंगाजल, पान, मिठाई, फल, प्रसाद, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद का मिश्रण), अक्षत (चावल), दीपक और आरती, तेल, आम के पत्ते।

  • House material-

    Pure water, a big Pata or Chowrang, easy to sit, Bami soil or smooth black soil for making Shivling, Milk, Pooja Thal, Panchpatra, Copper Lota, Flowers (Dhatura, Akona, Mogra), Belpatra, Shamipatra, Durva, Pavitri (ring made of durva) Gangajal, paan, sweets, fruits, prasad, panchamrit (mixture of milk, curd, ghee, sugar, honey), akshat (rice), lamp and aarti, oil, mango leaves.

  • पूजा सामग्री-

    आसन कपड़ा, सुपारी, हल्दी गाँठ, बादाम, खारक, पंचमेवा, इत्र, गुलाबजल या केवड़ा जल, कुमकुम, हल्दी, भांग, भष्म, अबीर, गुलाल, अभ्रक, काला बुक्का, चंदन, केसर, शहद, पंचरत्न, जनेऊ, कच्चा धागा, मौली धागा, धूपबत्ती, नारियल, सिक्के, लौंग इलायची, कपूर, घी, रूई, 16 शृंगार, हवन, नवग्रह समिधा, आम की लकड़ी (हवन के लिए) और गोबर के कंडे।

  • Worship material-

    Aasan cloth, supari, turmeric knot, almond, kharak, panchmeva, perfume, rose water or kewra water, kumkum, turmeric, hemp, ash, abir, gulal, mica, black bukka, sandalwood, saffron, honey, pancharatna, janeu, raw thread , Molly thread, incense sticks, coconut, coins, cloves, cardamom, camphor, ghee, cotton, 16 Shringar, Havan, Navagraha Samidha, mango wood (for Havan) and cow dung cakes.

पूजा की तैयारी / Preparation for worship -

पूजा की तैयारी / Preparation for worship -

  • महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही नींद त्याग देना चाहिए, और दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर के स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव के व्रत, पूजन और सुविचारों के ग्रहण करने का संकल्प मन में करना चाहिए। पूजा स्थल में साफ-सफाई करने के बाद पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्र करके रख लेना चाहिए। घर के द्वार पर आम के पत्तों की तोरण, पुष्पहार और केले के पत्तों से सजावट करनी चाहिए। घर के आँगन को गाय  के गोबर से लीप कर रंगोली बनाकर आँगन को सजाना चाहिए। मिट्टी में दूध और गंगाजल मिलाकर स्वयं के हाथों से महामृत्युंजय मंत्र का लगातार उच्चारण करते हुए सुंदर शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए। यह सारे कार्य सुबह जल्दी कर लेना चाहिए, ताकि पूजा सही समय पर शुरू की जा सके। 

  • On the day of Mahashivratri, one should give up sleep in the Brahma Muhurta in the morning, and after retiring from daily activities and taking bath etc., one should make a resolution in the mind to fast, worship and receive good thoughts of Lord Shiva. After cleaning the place of worship, all the materials of worship should be collected and kept. The entrance of the house should be decorated with mango leaves, wreaths and banana leaves. The courtyard of the house should be decorated by making rangoli by leaping with cow dung. A beautiful Shivling should be made by mixing milk and Ganges water in the soil and reciting the Mahamrityunjaya mantra continuously with one’s own hands. All these works should be done early in the morning, so that the worship can be started at the right time.

  • अब पूजा स्थल में पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए और चौरंग या पटे पर आसन कपड़ा बिछाकर, अक्षत फैलाकर उस पर बड़े से बर्तन में शिवलिंग रखना चाहिए, शिवलिंग की जिलहरी उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। नीचे एक और पटा बिछाकर उसपर भी एक स्वच्छ कपड़ा बिछाना चाहिए। पटे के दाहिने ओर थोड़े से अनाज (गेंहू या चावल) रखकर एक तांबा या कांसा का लोटा रखना चाहिए, उस पर स्वास्तिक का सुंदर प्रतीक चिन्ह बना कर, लोटे के कंठ में 3 बार कच्चा धागा लपेटना चाहिए। लोटे में एक सिक्का, अक्षत, एक हल्दी गाँठ, एक सुपारी और पंचरत्न डालकर गंगाजल मिला हुआ शुद्ध जल आधा भरना चाहिए। पाँच आम के पत्तों को लोटे में खड़े रखकर उसके ऊपर मौली धागा लपेटा हुआ नारियल उल्टा रखें। इस जल कलश के प्रमुख देव वरुण देव होते हैं। इसमें शास्त्रों में वर्णित 7 नदियों का जल, अनाज, औषधि और रत्न आदि शुद्ध प्राकृतिक तत्व मिलाए जाते हैं और सभी देवी देवताओं का आवाहन- निमंत्रण किया जाता है, जिससे यह सकारात्मक ऊर्जा का संचारक तत्व होता है, इसलिए इसका हर देव पूजा में अनिवार्य स्थान होता है।

  • अब चावल के नौ भाग बनाकर नवग्रह स्थापना के लिए कलश के बाजू चावल को नवग्रह के आकार में रखें अगर ऐसा संभव न हो तो चावल के 3-3 के 9 भाग रखें और इसपर मौली या कच्चा धागा 3 बार लपेट कर एक-एक सुपारी रखें, इसके साथ ही एक-एक हल्दी गाँठ, बादाम, खारक, लौंग-इलायची और सिक्के रखकर नवग्रह बनायें। साथ ही एक अन्य बर्तन में माता दुर्गा और गणेश जी की मूर्ति रखें। अगर न हों तो सुपारी में मौली धागा लपेट कर माता दुर्गा और गाय के गोबर से गणेश जी की मूर्त स्वरूप बनाकर स्थापना करें।

  • Now in the place of worship, one should sit facing the east and by spreading a seat cloth on the floor, a Shivling should be placed on it in a big pot, the water of the Shivling should be towards the north. A clean cloth should be spread on it by laying another belt below. A copper or bronze pot should be kept with some grains (wheat or rice) on the right side of the plate, a beautiful symbol of Swastik should be made on it, and a raw thread should be wrapped around the neck of the pot 3 times. Put a coin, Akshat, a turmeric knot, a betel nut and five gems in the pot and half fill it with pure water mixed with Ganga water. Keeping five mango leaves standing in a pot, keep a coconut wrapped with molly thread upside down on it. The main deity of this water urn is Varun Dev. Pure natural elements such as water, grains, medicines and gems etc. from 7 rivers mentioned in the scriptures are added and all the gods and goddesses are invoked, due to which it is a communicator of positive energy, therefore it is essential in every deity worship. There is a place.

  • Now make nine parts of rice and place the rice on the side of the urn in the shape of the Navagraha, if this is not possible, then keep 3-9 parts of rice and wrap Molly or raw thread 3 times on it and place one supari each. Along with this, make Navagraha by placing one turmeric knot, almond, kharak, clove-cardamom and coins. Along with this, keep the idol of Mata Durga and Ganesha in another vessel. If they are not there, wrap a molly thread in betel nut and make an idol of Goddess Durga and Ganesh ji with cow dung and establish it.

पूजा विधि / Worship method -

पूजा विधि / Worship method -

1. सबसे पहले स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें और अपनी आसन पर पूर्व मुख करके बैठ जाएँ, हाथ धोकर पवित्री धारण करें और पंचपात्र के शुद्ध जल से सभी तरफ जल छिड़क कर इस मंत्र के साथ पवित्रीकरण करें-

1. First of all wear clean clothes and sit on your aasan facing east, wash your hands and wear the sacred thread and purify it by sprinkling water all over with the pure water of the panchpatra with this mantra-

पवित्री मंत्र-

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपिवा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्यात् भ्यन्तर: शुचि:।।

2. अपने माथे पर चंदन का तिलक करें, इसके बाद आप जहां बैठे हैं उस पृथ्वी देवी को सम्मान दें और धन्यवाद स्वरूप अपनी आसन के नीचे पुष्प और अक्षत समर्पित करके इस मंत्र से पृथ्वी पूजन करें-

2. Apply sandalwood tilak on your forehead, after that pay respect to the Goddess Earth where you are sitting and worship the earth with this mantra by dedicating flowers and akshat under your aasan as a thank you-

पृथ्वी पूजा मंत्र-

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वम् विष्णुना धृता।

त्वाम् च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम्।।

3. अब हाथों में फूल और चावल लेकर भगवान शिव का ध्यान कर वेदों में लिखे शुभ के कारक स्वस्तिवाचन मंत्र का पाठ करें-

3. Now, taking flowers and rice in hands, meditate on Lord Shiva and recite the Swastivachan mantra written in the Vedas for auspiciousness-

स्वस्तिवाचन-

स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभंयावानो विदथेषु जग्मयः।

अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसा गमन्निह ॥

भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।

स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥

शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम।

पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ॥

अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः।

विश्वेदेवा अदितिः पंचजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु शनः कुरु प्रजाभ्यो भयं नः पशुभ्यः सुशांतिर्भवतु।।

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

4.  अब हाथ में गंगाजल लेकर अपना नाम, गोत्र, स्थान, तिथि और समय का मन में उच्चारण कर भगवान शिव के पूजन का विधि पूर्वक संकल्प करें-

4.  Now taking Gangajal in hand, pronounce your name, gotra, place, date and time in your mind and resolve to worship Lord Shiva.

संकल्प/ Resolution-

संकल्प/ Resolution-

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे, भू-लोके, जम्बूद्वीपे, भरतखण्डे, भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2079 वैक्रमाब्दे , नल नाम संवत्सरे, सूर्य उत्तरायने, बसंत ऋतो, महामंगल्यप्रदे, मासानां मासोत्तमे फाल्गुन मासे, कृष्ण पक्षे, चतुर्दशी तिथौ, शनि वासरे, अमुक नामा गोत्रोत्पन्नोऽहं (अपना नाम और गोत्र बोलें ) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं भगवान श्री साम्बसदाशिव रुद्राभिषेक पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे होमं क​रिष्ये।

5. अब हाथों में फूल और चावल लेकर माता गौरी और गणेश का ध्यान, आवाहन करें और अक्षत चढ़ा कर प्रतिष्ठा करें। इसके बाद तीन बार जल चढ़ाएं (पाद्य, अर्घ्य, आचमन हेतु), अब पंचामृत से स्नान करें और पुनः शुद्ध जल से स्नान करें। भगवान गणेश को जनेऊ- वस्त्र और माता गौरी को वस्त्र चढ़ाएं, अब षोडशोपचार विधि से पूजा करें, धूप और कर्पूर की आरती करें और अंत में पुष्पांजलि समर्पित करें। हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।

5. Now take flowers and rice in hands, meditate on Mother Gauri and Ganesha, appeal and worship them by offering Akshat. After this offer water thrice (for padya, arghya, aachaman), now bathe with Panchamrit and again bathe with pure water. Offer Janeu-cloth to Lord Ganesha and cloth to Mother Gauri, now worship with Shodshopachar method, perform aarti of incense and camphor and finally dedicate wreath. Pray with folded hands.

गणेश पूजा मंत्र / Ganesh Puja Mantra-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

गौरी पूजा मंत्र/ Gauri Puja Mantra-

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। 

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ।।

6. जल कलश में भी उपरोक्त विधि से पूजन करें और सातों नदियों, त्रिदेवों और वरुण देव को ध्यान, आवाहन और प्रतिष्ठित करें और अंत में नीचे दिए गए मंत्रों से प्रार्थना करें-

6. Worship in the water urn also in the above method and meditate, invoke and worship the seven rivers, Tridev and Varun Dev and pray with the following mantras at the end-

7. इसके पश्चात नवग्रह की पूजन की ओर आगे बढ़ें और उपरोक्त विधि से ध्यान,आवाहन और प्रतिष्ठा करें। नौ ग्रहों का विधि पूर्वक मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजन करें और अंत में हाथ जोड़कर सकारात्मक दशाओं की अपेक्षा के साथ प्रार्थना करें।

7. After this proceed towards the worship of Navagraha and do meditation, invocation and prestige with the above method. Worship the nine planets methodically with mantras and at the end pray with folded hands expecting positive conditions.

कलश पूजन मंत्र/ Kalash worship mantra-

कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित:।

मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:।।

कुक्षौ तु सागरा: सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा।

ऋग्वेदोअथ यजुर्वेद: सामवेदो ह्यथवर्ण:।।

अंगैच्श सहिता: सर्वे कलशं तु समाश्रिता:।

अत्र गायत्री सावित्री शांतिपृष्टिकरी तथा।

आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।

सर्वे समुद्रा: सरितस्तीर्थानि जलदा नदा:।

आयांतु मम शांत्यर्थ्य दुरितक्षयकारका:।।

गंगे च यमुना चैव, गोदावरी सरस्वती। 

नर्मदे सिंधु कावेरी,जलेस्मिन संनिधि कुरु।। 

नवग्रहों के पूजन मंत्र/ Worship mantras of Navagrahas-

सूर्य मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम:

चंद्र मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:

भौम मंत्र- ॐ अंगारकाय नम:

बुध मंत्र- ॐ बुं बुधाय नम:

गुरु मंत्र- ॐ ब्रं बृहस्पतये नम:

शुक्र मंत्र- ॐ शुं शुक्राय नम:

शनि मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नम:

राहु मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:

केतु मंत्र- ॐ स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:

नवग्रह प्रार्थना मंत्र-

ब्रह्मा मुरारीत्रिपुरान्तकारी

भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च ।

गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः

कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥

8. अब भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की पूजन करना प्रारंभ करें।

सबसे पहले नीचे दिए मंत्रों से हाथों में पुष्प और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान, आवाहन और प्रतिष्ठा करें-

8. Now start worshiping the mortal Shivling of Lord Shiva.

First of all, meditate, invoke and worship Lord Shiva by taking flowers and Akshat in your hands with the following mantras-



भगवान शिव ध्यान मंत्र-

“ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।

रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।

पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।

विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।”

आवाहन मंत्र-

ॐ भूः पुरूषं साम्ब सदाशिवमावाहयामि,

ॐ भुवः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि,

ॐ स्वः पुरूषं साम्बसदाशिवमावाहयामि।

प्राणप्रतिष्ठा मंत्र /Invocation Mantra-ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं शिवस्य प्राणा इह प्राणाःl

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं शिवस्य जीव इह स्थितः।

ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हं शिवस्य सर्वेन्द्रियाणि,वाङ् मनस्त्वक् चक्षुः

श्रोत्र जिह्वा घ्राण पाणिपाद पायूपस्थानि इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।

अब भगवान शिव को पाद्य, अर्घ्य और आचमन के लिए 3 बार जल प्रदान करें, इसके बाद पंचामृत स्नान करवाएं और शुद्ध जल से पुनः स्नान करवाएं। इसके बाद भगवान शिव को जनेऊ धारण करवाएं। अब दुग्ध से रुद्राभिषेक करना प्रारंभ करें, ध्यान रखें कि इस समय भगवान शिव के पवित्र नाम मंत्र ॐ नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप लगातार करते रहें।

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

अभिषेक करने के बाद पुनः शुद्ध जल से स्नान करवाने के बाद भगवान शिव की सभी पूजन सामग्रियों को बारी-बारी चढ़ाएं और षोडशोपचार पूजा करें। सुगंधित द्रव्य, पंचमेवा, पान, फल, दक्षिणा, नैवेद्य, वस्त्र और गौरी जी को शृंगार चढ़ायें।

After anointing, after taking bath again with pure water, offer all the worship materials to Lord Shiva one by one and perform Shodashopachar Puja. Offer fragrant liquid, Panchmeva, Paan, fruit, Dakshina, Naivedya, clothes and adornment to Gauri ji.

Now offer water to Lord Shiva 3 times for padya, arghya and aachaman, after that take panchamrit bath and again take bath with pure water. After this, make Lord Shiva wear the sacred thread. Now start doing Rudrabhishek with milk, keep in mind that at this time chant the holy name of Lord Shiva.Om Namah Shivaya And keep chanting the Mahamrityunjaya Mantra continuously.

अब प्रार्थना पूर्वक श्री रुद्राष्टकम का पाठ करें/ Now recite Sri Rudrashtakam with prayer:

नमामीशमिशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरुपम् ।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाश मकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥



निराकामोंकारमूलं तुरीयं गिरा ध्यान गोतीतमीशं गिरिशम ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा लासद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा ॥

चलत्कुण्डलं शुभ नेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठ दयालम ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥

प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम ॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥

न जानामि योगं जपं पूजा न तोऽहम्‌  सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥

रुद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषा शंभो प्रसीदति ॥

॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

कर्पूर आरती/ Karpur Aarti-

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।। 

मंदार माला कलितालकायै, कपालमालंगित सुन्दराय।

दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय, नमः शिवायै च नमः शिवाय।।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम मम् देव देव।। 

मंत्र पुष्पांजलि / Mantra Wreath-

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।

ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्रा पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः।।

ॐ सेवन्तिका बकुल चम्पक पाटलाब्जै, पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पैः।

बिल्व प्रवाल तुलसीदल मंजरीभिः, त्वां पूजयामि जगदीश्वर मे प्रसीद।।

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च। पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।।

।। ॐ भूर्भुवः स्वः भगवते साम्ब सदाशिवाय नमः, मनसः वेदोक्त मंत्र पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।। 

नीचे दिए मंत्रों के साथ क्षमा प्रार्थना करे और मनोकामना मांग कर, हाथ में अक्षत लेकर विसर्जन मंत्र के साथ विसर्जन करें, फिर पार्थिव शिवलिंग को बहते पानी में ही प्रवाहित करें।

क्षमा प्रार्थना मंत्र/ Forgiveness prayer mantra-

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर।। 

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्णम तदस्त्वमेव।। 

विसर्जन मंत्र/ Immersion Mantra-

गच्छ गच्छ गुहम गच्छ स्वस्थान महेश्वर, पूजा अर्चना काले पुनरगमनाय च।

सबसे अंत में पूजन समाप्त होने के पश्चात सभी को प्रसाद वितरण करें और भजन और कीर्तन आदि का शुभ आयोजन करें। मंदिरों में जाकर अपना समय पवित्र करें, गरीब और असहायों की सेवा करें, जरुरतमन्द व्यक्ति को भोजन,वस्त्र आदि उपलब्ध करवायें और पूरे दिन अपने मन में ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।

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Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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Maha Shiv-Ratri 2023 | 18 Feb 2023 | Maha-Shivratri-Blog-Part-1

maha shivratri 2023 shubh mahurat astro arun pandit

इस म‍हाशिवरात्रि पर इन उपायाें से होगी हर मनोकामनायें पूरी।

इस म‍हाशिवरात्रि पर इन उपायाें से होगी हर मनोकामनायें पूरी।

हिन्दू कलैंडर के अनुसार हर वर्ष माघ-फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि सनातन हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ भी इसी दिन से हुआ था। जो कि भगवान शिव के वृहद अग्निलिंग स्वरूप से शुरू हुआ था। यह साल की 12 शिवरात्रियों में सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है, जिसे भारत के अलावा विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इस दिन चारों तरफ खुशी और हर्ष का माहौल बना होता है। प्राकृतिक रूप से भी यह सकारात्मकता का कारक त्यौहार माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना के साथ ही तरह-तरह के धार्मिक आयोजन किए जाते है। हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा अपने घर और धार्मिक स्थलों पर रुद्राभिषेक के साथ ही साथ भजन, सांस्कृतिक उत्सव, भंडारे, जागरण आदि शुभ आयोजन आयोजित किए जाते हैं। महाशिवरात्रि की विशेष रात्रि के निशिता काल में ही की जाती है। वर्ष 2023 में 18 फरवरी, दिन शनिवार को महाशिवरात्रि का परम पावन त्यौहार मनाया जाएगा।

According to the Hindu calendar, Mahashivaratri festival is celebrated every year on the Chaturdashi date of Krishna Paksha of the month of Magha-Phagun. Mahashivaratri, the festival of union of Lord Shiva and Mother Parvati, holds great importance in Sanatan Hindu religion. It is believed that the beginning of the universe also took place from this day. Which started with the huge Agniling form of Lord Shiva. It is the biggest Shivaratri among the 12 Shivaratri of the year, which is celebrated globally apart from India. On this day, there is an atmosphere of happiness and joy all around. Naturally, this festival is considered to be a factor of positivity.

On this day, along with the worship of Lord Shiva and Mother Parvati, various religious events are organized. Along with Rudrabhishek, Bhajans, cultural festivals, Bhandaras, Jagran etc. auspicious events are organized by the people of Hindu religion at their homes and religious places. This is done only during the Nishita period of the special night of Mahashivaratri. In the year 2023, the most holy festival of Mahashivratri will be celebrated on 18th February, Saturday.

auspicious time/ शुभ मुहूर्त-

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 18 फरवरी, रात 08:02 बजे से

चतुर्दशी समाप्त – 19 फरवरी,शाम 04:18 बजे तक 

निशिता काल पूजा मुहूर्त- 18 फरवरी, रात 12:09 से 01:00 बजे तक

अवधि- 50 मिनट

महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त- 19 फरवरी, सुबह 06:57 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक

Chaturdashi date starts February 18, from 08:02

Chaturdashi ends- February 19, till 04:18 pm

Nishita Kaal Puja Muhurta- February 18, from 12:09 am to 01:00 am

Duration- 50 Minutes

Mahashivaratri Parana Muhurta – February 19, from 06:57 am to 03:25 pm

क्या है महाशिवरात्रि? /What is Mahashivaratri?

क्या है महाशिवरात्रि? /What is Mahashivaratri?

  • हर महीने कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि यानि अमावस्या से पहले का दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है, जिसमें भगवान शिव की पूजा-आराधना की जाती है। लेकिन पूरे  वर्ष में आने वाली सभी शिवरात्रियों में, फरवरी-मार्च के महीने की महाशिवरात्रि को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस रात को ही सृष्टि का जन्म और  माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। शिव और शक्ति के मिलन का ये पावन दिवस सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। हर तरफ हर्षोल्लास का माहौल बना होता है। पूरे वातावरण में शिव और शक्ति की आराधना की परम ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिससे मन और मस्तिष्क में सकारात्मकता का संचार होता है। वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की रात को, पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य की भीतर ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को साधना, तपस्या, योग और ध्यान के माध्यम से उसके आध्यात्मिक शिखर तक पहुँचने में मदद करती है। अतः इस समय का सदुपयोग करने और इस परंपरा के सम्मान में सभी लोग आपस में मिलकर महाशिवरात्रि का यह महोत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है।
  • Chaturdashi Tithi i.e. the day before Amavasya falling in Krishna Paksha every month is known as Shivratri. This is called Masik Shivratri, in which Lord Shiva is worshipped. But among all the Shivratris that fall throughout the year, the Mahashivratri in the month of February-March is considered the most important, because it was on this night that the creation took place and the marriage of Mother Parvati and Lord Shiva took place. This auspicious day of union of Shiva and Shakti holds great importance in Sanatan Dharma. There is an atmosphere of joy everywhere. The ultimate energy of worship of Shiva and Shakti flows in the entire atmosphere, which infuses positivity in the mind and brain. Scientifically speaking, on the night of Mahashivaratri, the northern hemisphere of the earth is positioned in such a way that the energy within the human being naturally moves upwards. It is a day when nature helps man to reach his spiritual pinnacle through sadhana, penance, yoga and meditation. Therefore, to make good use of this time and in honor of this tradition, all people together celebrate this festival of Mahashivaratri, which lasts the whole night.

महाशिवरात्रि का आध्यत्मिक और वैज्ञानिक महत्व/ Spiritual and scientific importance of Mahashivratri-

महाशिवरात्रि का आध्यत्मिक और वैज्ञानिक महत्व/ Spiritual and scientific importance of Mahashivratri-

  • महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बड़ा ही गहरा महत्व है।

    वैज्ञानिक खोजों के अनुसार ब्रह्मांड में एक अज्ञात और रहस्यमयी ऊर्जा मौजूद है, जो हम सभी को चला रही है। प्रकृति का स्वयं बनना आज भी एक रहस्य है। विश्व भर के सारे वैज्ञानिकों ने कई तरह से अनुमान लगाया पर किसी तरह के निष्कर्ष पर पहुँच पाना संभव नहीं हो पाया और न ही वे अभी तक इसे कोई नाम दे पाए हैं। हालांकि, प्राचीन काल के संतों ने इस अज्ञात ऊर्जा को शिव कहा है और अपने ठोस आध्यात्मिक कारण भी दिए हैं।

  • Mahashivaratri has a very deep significance from the spiritual and scientific point of view.

    According to scientific discoveries, there is an unknown and mysterious energy present in the universe, which is driving all of us. Nature’s becoming itself is still a mystery. All the scientists around the world have speculated in many ways but it has not been possible to reach any kind of conclusion nor have they been able to give any name to it yet. However, sages of ancient times have called this unknown energy as Shiva and have also given their solid spiritual reasons.

  • माना जाता है कि शिव हर जीवित प्राणी को जीवित करने वाली ऊर्जा है। हम शिव की वजह से सांस लेने, खाने, चलने और अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम हैं। यह ऊर्जा न केवल जीवित प्राणियों को चलाती है, बल्कि यह निर्जीव वस्तुओं में भी उनकी ऊर्जा के रूप में निवास करती है। इस प्रकार, शिव पूरे अस्तित्व को संचालित करते हैं। महाशिवरात्रि वह दिन है जब शिव तत्व, पृथ्वी को छूता है। चेतना, आभा या ईथर दुनिया जो भौतिक जमीन से हमेशा दस इंच ऊपर होती है, महाशिवरात्रि के दिन पृथ्वी तत्व को छूती है। यह आध्यात्मिकता  के साथ भौतिकता का विवाह है।

नवग्रह प्रार्थना मंत्र/ Navagraha Prayer Mantra-

ब्रह्मा मुरारीत्रिपुरान्तकारी

भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च ।

गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः

कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥

Shiva is believed to be the animating energy of every living being. We are able to breathe, eat, walk and do our daily activities because of Shiva. This energy not only drives living beings, but it also resides in non-living things as their energy. Thus, Shiva governs the entire existence. Mahashivaratri is the day when the element Shiva touches the earth. Consciousness, the aura or the etheric world which is always ten inches above the physical ground, touches the earth element on the day of Mahashivaratri. It is the marriage of materiality with spirituality.

 

शिव (सब कुछ की) आत्मा है – आत्मा और शिव में कोई अंतर नहीं है। आपका वास्तविक स्वरूप शिव है, और शिव- शांति, अनंत, सौंदर्य और अद्वैत हैं। रात्रि का अर्थ है ‘शरण लेना’। अर्थात महाशिवरात्रि शिव (आत्मा) में शरण ले रही है। यह अपने भीतर शिव तत्व का उत्सव मना रहा है।
Shiva is the soul (of everything) – there is no difference between soul and Shiva. Your real nature is Shiva, and Shiva is peace, infinity, beauty and non-duality. Ratri means ‘to take refuge’. That means Mahashivratri is taking refuge in Shiva (soul). It is celebrating the Shiva element within itself.

पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में मग्न लोग महाशिवरात्रि को, शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि, साधकों के लिए, यह वह दिन है, जिस दिन वे कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। वे एक पर्वत की भांति स्थिर व निश्चल हो गए थे। योगिक परंपरा में, शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता। उन्हें आदि गुरु माना जाता है, पहले गुरु, जिनसे ज्ञान उपजा। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के पश्चात्, एक दिन उन्होंने ज्ञान की चरम सीमा को छुआ और वे पूर्ण रूप से स्थिर हो गए, वही दिन महाशिवरात्रि का था।

People engaged in family situations celebrate Mahashivaratri as a festival of the marriage of Shiva. People engrossed in worldly ambitions celebrate Mahashivratri as the day of Shiva’s victory over his enemies. However, for the Sadhaks, it is the day they became one with Mount Kailash. He had become stable and motionless like a mountain. In the Yogic tradition, Shiva is not worshiped as a deity. He is considered the Adi Guru, the first Guru, from whom knowledge originated. After several millennia of meditation, one day he touched the pinnacle of knowledge and became completely still, that day being Mahashivaratri.

भगवान शिव को जितना अधिक सांसारिक लोग मानते हैं, उससे कहीं ज़्यादा आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोग भी मानते हैं। इसके अलावा वैरागी लोग भी भगवान शिव को एक वैरागी ही मानते हैं, जो सांसारिक जीवन से दूर है। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार भगवान शिव एक सत्य रूप है और यह पूरा संसार केवल मोहमाया है। विशेष आराधना के माध्यम से हम सभी लोग इस मोह माया से दूर होकर सत्य रूप को प्राप्त कर सकते हैं और शिव में मिल सकते हैं। योगिक परम्परा में भगवान शिव को एक ज्ञानी और वैरागी माना गया हैं। यह परम्परा शांति में विश्वास रखती हैं, इस वजह से महाशिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से भी काफी खास हैं। अलग-अलग विचारधारा और विश्वास के बावजूद पूरा विश्व समुदाय भगवान शिव को ही पूजता है और शिवजी को पाने के मार्गों पर चलने का प्रयत्न करता है।

 

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Valentine Day 2023 | 14 Feb 2023 | Valentine’s Day for Mulank 1 to 9

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Valentine Day 2023 - Astrology | Numerology | For Mulank 1 to 9 |14 Feb 2023

Valentine Day 2023 -Astrology|Numerology - For Mulank 1 to 9 & All Zodiacs-14 Feb 2023

वेलेंटाइन डे पाश्चात्य संस्कृति का एक ऐसा उत्सव है, जिसे फरवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है। विश्व भर में इस त्योहार को प्रेम संबंधों की मजबूती का प्रतीक माना जाता है। वैसे तो वेलेंटाइन डे 14 फरवरी को मनाया जाता है, परंतु इसके 7 दिन पहले से ही हर दिन अलग-अलग प्रेम के प्रतीकों को निश्चित कर इस त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता है। जैसे चॉकलेट डे, प्रपोज़ डे, टेडी डे, रोज़ डे आदि।

Valentine’s Day is a celebration of Western culture, which is celebrated on the 14th of February. All over the world, this festival is considered a symbol of the strength of love relationships. Although Valentine’s Day is celebrated on February 14, but 7 days before it, this festival is celebrated by fixing different symbols of love every day. Like Chocolate Day, Propose Day, Teddy Day, Rose Day etc.

भारत में भी वेलेंटाइन डे को मनाया जाता है। यह केवल प्रेमी युगलों के रिश्तों के लिए नहीं बल्कि दाम्पत्य जीवन में भी प्यार और सामंजस्य बढ़ाने का काम करता है। दरअसल फरवरी का पूरा महीना ही वास्तव में प्यार के इस खूबसूरत सफर को समर्पित है। सप्ताह की शुरुआत रोज़ डे के साथ होती है। पूरा सप्ताह उत्सवों से भरा होता है, चाहे वह चॉकलेट डे पर चॉकलेट की मिठास हो या टेडी डे के दिन टेडी की कोमलता। महीने के मध्य में 14 फरवरी को प्यार का इजहार करने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक बड़ा दिन है, जिसे दुनिया भर में वेलेंटाइन डे के रूप में जाना जाता है। प्रेम के कई रंगों में रंगा प्यार का यह त्यौहार आपसी संबंधों में ताकत का काम करता है।

Valentine’s Day is also celebrated in India. It works not only for the relationship of loving couples but also to increase love and harmony in married life. In fact, the entire month of February is actually dedicated to this beautiful journey of love. The week begins with Rose Day. The whole week is full of celebrations, be it the sweetness of chocolates on Chocolate Day or the softness of Teddy on Teddy Day. In the middle of the month, February 14 is a big day to express love and express your feelings, which is known as Valentine’s Day around the world. This festival of love, colored in many colors of love, acts as a strength in mutual relations.

Let's know how Valentine's Day 2023 is going to be for people with Mulank 1 to 9!

Let's know how Valentine's Day 2023 is going to be for people with Mulank 1 to 9!

आइए जानते हैं 1 से 9 मूलांक वालों का कैसा होने वाला है वैलेंटाइन डे 2023. साथ ही जाने कौन सा रंग और उपहार बनाएगा आपके रिश्ते को और भी खूबसूरत।

Mulank 1 / मूलांक 1

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Mulank 1 / मूलांक 1

  • Valentine’s Day will not be that good for Mulank 1 people. This may bring some irritability and pressure in your mind due to which you will not get enough time to plan your special day. Your professional commitments will keep you tied up.
    मूलांक 1 वालों के लिए वैलेंटाइन डे उतना अच्छा नहीं होगा। आपकी पेशेवर प्रतिबद्धताएं आपको बांध कर रखेंगी।  इससे आपके मन में कुछ चिड़चिड़ापन और दबाव आ सकता है जिससे आपको अपने खास दिन की योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा।
  • You may not get full support and understanding from your partner, due to which some quarrels and arguments may happen. You will try your best to make up for your mistakes by the end of the day.
    इसके अलावा, हो सकता है कि आपको अपने साथी से पूरा समर्थन और समझ न मिले, जिसके कारण कुछ झगड़े और बहस हो सकती है। आप दिन के अंत तक अपनी भूलों की भरपाई करने की पूरी कोशिश करेंगे।
  • Remedies – Wear clothes – white color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – सफेद रंग
  • Gifts to give to your partner – A bouquet of fresh roses and gifts made of flowers would be the best way to celebrate your sweetheart.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को –
    अपने प्रियतम को मनाने के लिए ताजा गुलाबों का एक गुलदस्ता और फूलों से बने उपहार सर्वोत्तम होंगे।

Mulank 2 / मूलांक 2

Mulank 2 / मूलांक 2

  • Natives of Mulank 2 can expect some freshness in their relationships this valentine day 2023 says the best astrologer in India – Astro Arun Pandit
    मूलांक 2 के जातक अपने रिश्तों में कुछ ताजगी की उम्मीद कर सकते हैं। इस वैलेंटाइन डे – इंडिया के बेस्ट अस्त्रोलोगेर एस्ट्रो अरुण पंडित कहते है |
  • If you are going through any stress or anxiety, then your partner will give full support to spend the whole day with you. This Valentine’s day 2023 you will definitely have a day to reunite and heal your relationship.
    अगर आप किसी तनाव या चिंता से गुजर रहे हैं, तो आपका साथी आपके साथ पूरा दिन खुशनुमा बिताने के लिए पूरा साथ देगा। इस वैलेंटाइन के दौरान आपके पास पुनर्मिलन के लिए और अपने रिश्ते के ठीक करने का कोई दिन अवश्य होगा।
  • If your relationship was going smoothly then expect more love and romance as you spend a wonderful evening together in love.
    यदि आपका रिश्ता सुचारू रूप से चल रहा था तो और अधिक प्यार और रोमांस की अपेक्षा करें, क्योंकि आप प्यार में डूबे एक साथ एक शानदार शाम बिताते हैं।
  • Remedies – Wear clothes – Pink color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – गुलाबी रंग
  • Gifts to give to your partner – To cherish the feeling of love, gift your partner a cup with a printed photo of both of you on it.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को –
    प्यार की भावना को संजोने के लिए अपने साथी को आप दोनों की प्रिंटेड फोटो वाला कप गिफ्ट करें।

Mulank 3 / मूलांक 3

Mulank 3 / मूलांक 3

  • Today can be confusing for people with number 3. By listening to your partner with all your heart, you will try to gain their trust and understanding. You may face some conflicts due to differences with your partner while planning for the celebration. However, this year you will have to surrender to your partner’s wishes to enjoy this day of love to the fullest. So you are advised to trust your partner and follow their plans completely.

     

    मूलांक 3 वालों के लिए आज का दिन भ्रमित करने वाला हो सकता है। आप अपने साथी की बातों को पूरे मन से सुनकर, उनका विश्वास और समझ हासिल करने का प्रयास करेंगे। उत्सव की योजना बनाते समय अपने साथी के साथ मतभेद के कारण आपको कुछ संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि, इस वर्ष आपको प्यार के इस दिन का भरपूर आनंद लेने के लिए अपने साथी की इच्छाओं के आगे समर्पण करना होगा। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अपने पार्टनर पर भरोसा रखें और उनकी योजनाओं का पूरी तरह से पालन करें।

  • Remedies -Wearing clothes – Red color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – लाल रंग

  • Gifts to give to your partner –A silver item will be the most special gift for your partner this year.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को –
    इस साल आपके साथी के लिए चांदी से बना कोई सामान सबसे खास उपहार होगा।
  •  

Mulank 4 / मूलांक 4

Mulank 4 / मूलांक 4

  • Today will be a very good day for those with Radix 4. You will surprise your partner with a gift related to your memories. Showers of love and romance will shower on you throughout the day. You may plan to visit some specific place to spend some time alone. Romance and intimacy will be at its peak in your relationship. On this Valentine you will feel yourself on the seventh sky.

    मूलांक 4 वालों के लिए आज का दिन बहुत ही अच्छा रहेगा। आप अपने साथी को अपनी यादों से जुड़ा कोई उपहार सरप्राइज में देंगे। प्यार और रोमांस की बौछारें पूरे दिन आप पर बरसती रहेंगी। आप कुछ समय एकांत में बिताने के लिए किसी विशिष्ट स्थान पर जाने की योजना बना सकते हैं। आपके रिश्ते में रोमांस और घनिष्ठता चरम पर होगी। इस वैलेंटाइन पर आप खुद को सातवें आसमान पर महसूस करेंगे।

  • Remedies -Wearing clothes – any kind of dark color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – किसी भी तरह का गहरा रंग

  • Gifts to give to your partner – Gifting your favorite item would be the best gift for your partner.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को –
    अपनी किसी प्रिय वस्तु को उपहार में देना आपके साथी के लिए सबसे अच्छा उपहार होगा।

Mulank 5 / मूलांक 5

Mulank 5 / मूलांक 5

  • People with Radix 5 will have a balanced day. Despite the abundance of work, you will be able to find time to share those special moments with your partner. You will make complete planning of your day with your partner. You would love to have a close relationship with friends and your beloved. Also, you will take the initiative to introduce your beloved to your friends, if you have not done so already.

    मूलांक 5 वालों का दिन संतुलित रहेगा। काम की अधिकता के बावजूद आप अपने साथी के साथ उन खास पलों को साझा करने के लिए समय निकाल पाएंगे। आप अपने साथी के साथ अपने दिन की पूरी योजना बनाएंगे। आप मित्रों और अपने प्रिय के साथ घनिष्ठ संबंध रखना पसंद करेंगे। साथ ही आप अपने प्रिय को अपने दोस्तों से मिलवाने की पहल करेंगे, अगर आपने अभी तक ऐसा नहीं किया है।

  • Remedies -Wearing clothes – Green color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – हरा रंग

  • Gifts to give to your partner – Gift your partner any kind of electronic device/gadget like headphones, mobile, Alexa etc.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को –
    अपने साथी को किसी तरह का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण/गैजेट जैसे हेडफोन, मोबाईल, एलेक्सा आदि गिफ्ट करें।

Mulank 6 / मूलांक 6

Mulank 6 / मूलांक 6

  • This day will be the most beautiful for those with Radix 6. You will get surprises from morning till the end of the day. You will feel that the day of love never ends for you because you will be thrilled to that extent. Single people have a golden chance to get into a relationship this Valentine’s. Those who are in a relationship will plan to take a step further in their relationship. Love and passion will be at its peak and you will share many memorable moments with your beloved.

    मूलांक 6 वालों का यह दिन सबसे खूबसूरत रहेगा। सुबह से लेकर दिन के अंत तक आपको सरप्राइज मिलेंगे। आप महसूस करेंगे कि आपके लिए प्यार का दिन कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि आप उस हद तक रोमांचित होंगे। सिंगल लोगों के पास इस वैलेंटाइन के दौरान रिश्ते में आने का सुनहरा मौका है। जो लोग रिलेशनशिप में हैं, वे अपने रिश्ते में एक कदम और आगे बढ़ाने की योजना बनाएंगे। प्यार और जुनून अपने चरम पर होगा और आप अपने प्रिय के साथ बहुत से यादगार पल साझा करेंगे।

  • Remedies -Wearing clothes – red and carrot
    उपाय
    – वस्त्र धारण – लाल और गाज़री

  • Gifts to give to your partner – A beautiful picture or a creative collage from your memories would be the perfect gift for your partner this Valentine’s.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को – आपकी यादों का कोई बेहतरीन चित्र या क्रिएटिव कोलाज आदि इस वैलेंटाइन में आपके साथी के लिए सही उपहार होगा।

Mulank 7 / मूलांक 7

Mulank 7 / मूलांक 7

  • People with Radix 7 will have a moderate day. You will be in a contemplative mood and will not have high expectations from your partner. You will have a relaxed day and can go out for lunch or dinner in the evening. You will miss the romantic moments in your relationship. You are advised to cheer yourself up and participate in the hopes of your partner’s Valentine’s Day celebration, otherwise, they will be upset with your attitude and reaction.

    मूलांक 7 वालों का दिन मध्यम रहेगा। आप चिंतनशील मुद्रा में रहेंगे और अपने साथी से अधिक अपेक्षाएं नहीं रखेंगे। आपका दिन आराम से बीतेगा और शाम को लंच या डिनर के लिए बाहर जा सकते हैं। आप अपने रिश्ते में रोमांटिक लम्हों को याद करेंगे। आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने आप को उत्साहित करें और अपने साथी के वेलेंटाइन डे मनाने की आशाओं में भाग लें अन्यथा वे आपके रवैये और प्रतिक्रिया से परेशान होंगे।

  • Remedies -Wearing clothes – saffron color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – केसरिया रंग

  • Gifts to give to your partner –  Gifting red-colored clothes to your dear partner will increase love in your relationship.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को – उपहार – अपने प्रिय साथी को लाल रंग के वस्त्र उपहार में देने से आपके रिश्ते में प्यार बढ़ेगा।

Mulank 8 / मूलांक 8

Mulank 8 / मूलांक 8

  • People with Radix 8 will have a blissful day. It will be in your favor at the beginning of the day itself. Your partner will plan a surprise for you, which will be beyond your expectation. Couples in love have good chances of getting their perfect date, as they will impress their partner with their restraint and patience. You are advised to be more respectful and responsive toward your partner’s gestures as this will enhance your day and the love in your relationship.

    मूलांक 8 वालों का दिन आनंदमय रहेगा। यह दिन के प्रारंभ में ही आपके पक्ष में होगा। आपका साथी आपके लिए सरप्राइज़ प्लान करेगा, जो आपकी उम्मीद से परे होगा। प्रेमी युगलों के पास अपनी सही डेट पाने की संभावनाएँ हैं, क्योंकि वे अपने संयम और धैर्य से अपने साथी को प्रभावित करेंगे। आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने साथी के इशारों के प्रति अधिक सम्मान पूर्ण और उत्तरदायी बनें क्योंकि इससे आपका दिन और आपके रिश्ते में प्यार बढ़ेगा।

  • Remedies -Wearing clothes – blue or sky color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – नीला या आसमानी रंग

  • Gifts to give to your partner – Gifting a special watch can lead to a better relationship.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को – एक विशेष घड़ी उपहार में देना आपके बेहतर रिश्ते का कारण बन सकता है।

Mulank 9 / मूलांक 9

Mulank 9 / मूलांक 9

  • This day will be beautiful for the number 9 people. You will do everything possible to pamper your partner and spend memorable moments with them. You can plan a big surprise for your partner and they will be thrilled to see your gesture. You will party hard with your partner and can also go on a short trip. Intimacy and romance will increase in your relationship.

    मूलांक 9 वालों का यह दिन खूबसूरत रहेगा। अपने पार्टनर को लाड़ प्यार करने और उनके साथ यादगार पल बिताने के लिए आप हर मुमकिन कोशिश करेंगे। आप अपने पार्टनर के लिए कोई बड़ा सरप्राइज देने की योजना बना सकते हैं और वे आपके हाव-भाव देखकर रोमांचित हो उठेंगे। आप अपने पार्टनर के साथ जमकर पार्टी करेंगे और किसी छोटी यात्रा पर भी जा सकते हैं। आपके रिश्ते में घनिष्ठता और रोमांस बढ़ेगा।

  • Remedies -Wearing clothes – pale or light color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – पीला या हल्का रंग


  • Gifts to give to your partner – A room full of chocolates, favorite food, and small gifts would make a great gift.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को – चॉकलेट, फेवरेट भोजन और छोटे-छोटे उपहारों से भरा कमरा एक बेहतरीन उपहार होगा।
  • Remedies -Wearing clothes – pale or light color
    उपाय
    – वस्त्र धारण – पीला या हल्का रंग


  • Gifts to give to your partner – A room full of chocolates, favorite food, and small gifts would make a great gift.
    ये उपहार दे अपने पार्टनर को – चॉकलेट, फेवरेट भोजन और छोटे-छोटे उपहारों से भरा कमरा एक बेहतरीन उपहार होगा।

About The Author -

Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

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बसन्त पंचमी / Vasant Panchami

बसन्त पंचमी/ Vasant Panchami

भारतीय हिन्दू परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह बसन्त ऋतु के आगमन का और शुभता का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। यह दिन माँ सरस्वती की आराधना और उपासना का होता है। धार्मिक और प्राकृतिक रूप से बसन्त पंचमी का बहुत बड़ा महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था। माता सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है, इसलिए आज भी इसी दिन से माता-पिता अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू करवाते हैं। सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक विद्यारम्भ संस्कार इसी दिन आयोजित किया जाता है। शास्त्रों में बसन्त पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है।

According to Indian Hindu tradition, the festival of Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of Shukla Paksha of Magh month. It is considered a symbol of auspiciousness and the arrival of spring, hence it is also called Shri Panchami. This day is dedicated to the worship and worship of Mother Saraswati. Basant Panchami has great significance both religiously and naturally. According to religious beliefs, Mother Saraswati was born on this day. Mother Saraswati is also called the Goddess of learning, so even today, parents start their children’s schooling from this day. Vidyarambh Sanskar, one of the 16 rituals of Sanatan culture, is organized on this day. In the scriptures, Basant Panchami has also been called Rishi Panchami.

एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ स्वयं पृथ्वी पर आकर विचरते हैं, इसलिए कई वैवाहिक दंपत्ति, कामदेव और देवी रति की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई परेशानी नही आती। पूरे वर्ष में इसी दिन सभी ऋतूएं सबसे ज़्यादा संतुलन में होती हैं। प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होना शुरू होते हैं। पेड़ पौधों में बहार आने लगती है। हवाएं शुद्ध हो जाती है। बसन्त पंचमी का त्यौहार सिर्फ भारत ही नही कई एशियाई देशों में स्थानीय संस्कृति के अनुरूप मनाया जाता है।

According to another mythological belief, on this day the god of love Kamadeva himself roams the earth with his wife Rati, so many married couples worship Kamadeva and Goddess Rati to get their blessings, so that there is no problem in their married life. Does not come. All the seasons are in the most balance on this day in the whole year. Positive changes begin to happen in nature. Spring starts coming in trees and plants. The air becomes pure. The festival of Basant Panchami is celebrated not only in India but in many Asian countries according to the local culture.

भारतीय हिन्दू परम्परा के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसन्त पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह बसन्त ऋतु के आगमन का और शुभता का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। यह दिन माँ सरस्वती की आराधना और उपासना का होता है। धार्मिक और प्राकृतिक रूप से बसन्त पंचमी का बहुत बड़ा महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था। माता सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है, इसलिए आज भी इसी दिन से माता-पिता अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू करवाते हैं। सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक विद्यारम्भ संस्कार इसी दिन आयोजित किया जाता है। शास्त्रों में बसन्त पंचमी को ऋषि पंचमी भी कहा गया है।

 

According to Indian Hindu tradition, the festival of Basant Panchami is celebrated every year on the fifth day of Shukla Paksha of Magh month. It is considered a symbol of auspiciousness and arrival of spring, hence it is also called Shri Panchami. This day is dedicated to the worship and worship of Mother Saraswati. Basant Panchami has great significance both religiously and naturally. According to religious beliefs, Mother Saraswati was born on this day. Mother Saraswati is also called the Goddess of learning, so even today, parents start their children’s schooling from this day. Vidyarambh Sanskar, one of the 16 rituals of Sanatan culture, is organized on this day. In the scriptures, Basant Panchami has also been called Rishi Panchami.

एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ स्वयं पृथ्वी पर आकर विचरते हैं, इसलिए कई वैवाहिक दंपत्ति, कामदेव और देवी रति की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई परेशानी नही आती। पूरे वर्ष में इसी दिन सभी ऋतूएं सबसे ज़्यादा संतुलन में होती हैं। प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होना शुरू होते हैं। पेड़ पौधों में बहार आने लगती है। हवाएं शुद्ध हो जाती है। बसन्त पंचमी का त्यौहार सिर्फ भारत ही नही कई एशियाई देशों में स्थानीय संस्कृति के अनुरूप मनाया जाता है।

According to another mythological belief, on this day the god of love Kamadeva himself roams the earth with his wife Rati, so many married couples worship Kamadeva and Goddess Rati to get their blessings, so that there is no problem in their married life. Does not come. All the seasons are in the most balance on this day in the whole year. Positive changes begin to happen in nature. Spring starts coming in trees and plants. The air becomes pure. The festival of Basant Panchami is celebrated not only in India but in many Asian countries according to the local culture.

महत्व / Importance-

महत्व / Importance-

बसन्त पंचमी के पवित्र त्यौहार के कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। /The holy festival of Basant Panchami has much spiritual and scientific significance.

बसन्त पंचमी के पवित्र त्यौहार के कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। /The holy festival of Basant Panchami has much spiritual and scientific significance.

  • This day holds great significance for the farmers. On this day farmers worship new crops in their fields.
  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है। माँ सरस्वती की मंत्र साधना करके सिद्धि प्राप्त भी की जाती है।
  • बसन्त पंचमी के दिन माँ सरस्वती का उद्भव हुआ था। माँ अज्ञान और मन के अंधेरे दूर करती हैं इसलिए इस दिन मुख्य रूप से सरस्वती पूजन किया जाता है।
  • Mother Saraswati was born on the day of Basant Panchami. Mother removes ignorance and darkness of mind, so Saraswati is mainly worshiped on this day.
  • इसी दिन माँ सरस्वती ने महाकवि कालिदास को विद्या का वरदान दिया था। इस दिन से बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है।
  • On this day Mother Saraswati had given the boon of knowledge to the great poet Kalidas. From this day the education of children started.
  • बसन्त पंचमी के दिन से ही बसन्त ऋतु का प्रारम्भ होता है। इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू करने से उसमें सफलता प्राप्त होती है।
  • The spring season starts on the day of Basant Panchami. Starting any auspicious work on this day brings success in it.
  • किसानों के लिए यह दिन बहुत विशेष महत्व रखता है। इस दिन किसान अपने खेतों में नई फसलों की पूजा करते हैं।
  • Mother Saraswati is worshiped on the day of Basant Panchami. Achievement is also achieved by chanting the mantra of Maa Saraswati.
  • कला से जुड़े क्षेत्रों जैसे संगीत, वादन, नृत्य, लेखन आदि इसी दिन से शुरू किया जाता है तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।
  • If art-related fields like music, playing, dancing, writing, etc. are started from this day, then there is definitely success in life.
  • माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं इसलिए विद्यार्थी जन अपनी किताबों और पढ़ाई के संसाधनों को सरस्वती स्वरूप मानकर पूजा करते हैं।
  • Maa Saraswati is the goddess of learning, so the students worship their books and study resources considering them as Saraswati.
  • माँ सरस्वती संगीत की देवी भी हैं इसलिए कलाकर जन अपने वाद्य यंत्रों की पूजन करके माँ सरस्वती की आराधना करते हैं और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए वरदान मांगते हैं।
  • Maa Saraswati is also the goddess of music, so artists worship Maa Saraswati by worshiping their musical instruments and asking for boons to move forward in the field of art.
  • इस दिन प्रकृति के हर तत्व में सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार होता है, फसलें लहलहाने लगती हैं, गेंहू की फसल में बालियां आ जाती हैं, पौधों में नये-नये फूल आने शुरू हो जाते हैं, सरसों की फसल की सुंदरता देखते ही बनती है, आम के पेड़ में बौर आनी शुरू हो जाती है।
  • On this day, positive energies are transmitted in every element of nature, crops start flourishing, earrings come in the wheat crop, new flowers start arriving in the plants, the beauty of the mustard crop is made on sight, and The mango tree begins to blossom.
  • भगवान श्री राम आज ही के दिन माता शबरी के आश्रम (डांग,गुजरात) पहुंचे थे, जहां उन्होंने शबरी के जूठे बेर चखे थे।
  • Lord Shri Ram reached Mata Shabri’s ashram (Dang, Gujarat) on this day, where he tasted Shabri’s false berries.
  • इस दिन सरस्वती पूजन विश्व के कई देशों में किया जाता है जो कि नारी के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
  • On this day, Saraswati Pujan is done in many countries of the world, which promotes the feeling of respect towards women.
  • बसन्त पंचमी का त्यौहार नयी शुरुआत और शुभ समय का बहुत बड़ा प्रतीक होता है। यह संदेश देता है कि हर काम शुभ हो, हर किसी में शुभता आये, हर शुभ का सफल हों।
  • The festival of Basant Panchami is a great symbol of new beginnings and auspicious times. It gives the message that every work should be auspicious, good luck should come to everyone, and every auspicious thing should be successful.
  • बसन्त पंचमी के दिन माँ सरस्वती का उद्भव हुआ था। माँ अज्ञान और मन के अंधेरे दूर करती हैं इसलिए इस दिन मुख्य रूप से सरस्वती पूजन किया जाता है।
  • Mother Saraswati was born on the day of Basant Panchami. Mother removes ignorance and darkness of mind, so Saraswati is mainly worshiped on this day.
  • इसी दिन माँ सरस्वती ने महाकवि कालिदास को विद्या का वरदान दिया था। इस दिन से बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है।
  • On this day Mother Saraswati had given the boon of knowledge to the great poet Kalidas. From this day the education of children started.
  • बसन्त पंचमी के दिन से ही बसन्त ऋतु का प्रारम्भ होता है। इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू करने से उसमें सफलता प्राप्त होती है।
  • The spring season starts on the day of Basant Panchami. Starting any auspicious work on this day brings success in it.
  • किसानों के लिए यह दिन बहुत विशेष महत्व रखता है। इस दिन किसान अपने खेतों में नई फसलों की पूजा करते हैं।
  • This day holds great significance for the farmers. On this day farmers worship new crops in their fields.
  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है। माँ सरस्वती की मंत्र साधना करके सिद्धि प्राप्त भी की जाती है।
  • Mother Saraswati is worshiped on the day of Basant Panchami. Achievement is also achieved by chanting the mantra of Maa Saraswati.
  • कला से जुड़े क्षेत्रों जैसे संगीत, वादन, नृत्य, लेखन आदि इसी दिन से शुरू किया जाता है तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।
  • If art-related fields like music, playing, dancing, writing, etc. are started from this day, then there is definitely success in life.
  • माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं इसलिए विद्यार्थी जन अपनी किताबों और पढ़ाई के संसाधनों को सरस्वती स्वरूप मानकर पूजा करते हैं।
  • Maa Saraswati is the goddess of learning, so the students worship their books and study resources considering them as Saraswati.
  • माँ सरस्वती संगीत की देवी भी हैं इसलिए कलाकर जन अपने वाद्य यंत्रों की पूजन करके माँ सरस्वती की आराधना करते हैं और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए वरदान मांगते हैं।
  • Maa Saraswati is also the goddess of music, so artists worship Maa Saraswati by worshiping their musical instruments and asking for boons to move forward in the field of art.
  • इस दिन प्रकृति के हर तत्व में सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार होता है, फसलें लहलहाने लगती हैं, गेंहू की फसल में बालियां आ जाती हैं, पौधों में नये-नये फूल आने शुरू हो जाते हैं, सरसों की फसल की सुंदरता देखते ही बनती है, आम के पेड़ में बौर आनी शुरू हो जाती है।
  • On this day, positive energies are transmitted in every element of nature, crops start flourishing, earrings come in the wheat crop, new flowers start arriving in the plants, the beauty of the mustard crop is made on sight, and The mango tree begins to blossom.
  • भगवान श्री राम आज ही के दिन माता शबरी के आश्रम (डांग,गुजरात) पहुंचे थे, जहां उन्होंने शबरी के जूठे बेर चखे थे।
  • Lord Shri Ram reached Mata Shabri’s ashram (Dang, Gujarat) on this day, where he tasted Shabri’s false berries.
  • इस दिन सरस्वती पूजन विश्व के कई देशों में किया जाता है जो कि नारी के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
  • On this day, Saraswati Pujan is done in many countries of the world, which promotes the feeling of respect towards women.
  • बसन्त पंचमी का त्यौहार नयी शुरुआत और शुभ समय का बहुत बड़ा प्रतीक होता है। यह संदेश देता है कि हर काम शुभ हो, हर किसी में शुभता आये, हर शुभ का सफल हों।
  • The festival of Basant Panchami is a great symbol of new beginnings and auspicious times. It gives the message that every work should be auspicious, good luck should come to everyone, and every auspicious thing should be successful.

शुभ मुहूर्त /auspicious time

Panchami date starts - on January 25 from 12:35 pm Panchami date ends - 26 January till 10:28 am Basant Panchami - 26 January 2023, day - Thursday Puja Muhurta - 07:07 am to 12:35 pm

पंचमी तिथि प्रारम्भ- 25 जनवरी दोपहर 12:35 से पंचमी तिथि समाप्त- 26 जनवरी सुबह 10:28 तक बसन्त पंचमी- 26 जनवरी 2023, दिन- गुरुवार पूजा मुहूर्त- सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक

Makar Sankranti 2023 Date: January 15, 2022 (Sunday)
Punya Kaal Muhurta: 07:15:13 to 12:30:00
Duration: 5 hours 14 minutes
Mahapunya Kaal Muhurta: 07:15:13 to 09: Till 15:13
Duration: 2 hours 0 minutes
Sankranti moment: January
14 at 20:21:45 z

मकर संक्रांति 2023 तिथि : 15 जनवरी, 2022 (रविवार)
पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक अवधि : 5 घंटे 14 मिनट महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक
अवधि : 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल : 14 जनवरी को 20:21:45

पूजा विधि /Worship method

  • Keep a handful of rice on the right side of Saraswati ji, and keep a copper vessel filled with pure water on it. Put Ganges water, a supari, a lump of turmeric, and a coin in that copper vessel.
  • सुबह जल्दी सोकर उठें, नित्यकर्मों से निवृत होकर साफ पीले वस्त्र धारण करें। सरस्वती पूजन के लिए आवश्यक पूजा सामग्री एकत्रित करें।
  • Wake up early in the morning, retire from routine and wear clean yellow clothes. Collect the necessary worship material for Saraswati Pujan.
  • एक साफ पटा या चौरंग लेकर उसमें लाल कपड़ा बांधें, एक मुट्ठी चावल रखें और माँ सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
  • Tie a red cloth on a clean patta or chorang, place a handful of rice and place an idol or picture of Maa Saraswati.
  • सरस्वती जी के सामने गणेश जी की गोबर से बनी मूर्ति और गौरी जी की प्रतिमा रखें। गोबर की मूर्ति न हो तो सुपारी में मौली लपेट कर रखें।
  • Place an idol made of the cow dung of Ganesha and the idol of Gauri ji in front of Saraswati ji. If there is no idol made of cow dung, keep a molly wrapped in betel nut.
  • सरस्वती जी की दाहिनी तरफ एक मुट्ठी चावल रखें, उसपर तांबे का पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें। उस तांबे के पात्र में गंगाजल, एक सुपारी, एक हल्दीगांठ, एक सिक्का डालें।
  • तांबे के पात्र में सिंदूर/कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं, कंठ में 3 राउंड मौली धागा लपेट कर रखें, फिर आम के 5 पत्ते या एक पान का पत्ता डालकर नारियल रखें। यह जल कलश कहलाता है, जिसमें सात नदियों, त्रिदेवों और वरुण देवता का आवाहन किया जाता है।
  • Make a swastika with vermilion/kumkum in a copper vessel, wrap 3 rounds of molly thread around the neck, then put 5 mango leaves or a betel leaf and place a coconut. This is called Jal Kalash, in which the seven rivers, the Tridevs, and the god Varuna are invoked.
  • इसके बाद सरस्वती जी के सामने नवग्रह बनाकर रखें। (पटे पर चौकौर आकर में थोड़े चावल फैलाएं 9 सुपारी पर मौली लपेटकर, 9 हल्दीगांठ और 9 सिक्कों के साथ 3-3 के क्रम में जमाकर रखें।)
  • After this, make Navagraha in front of Saraswati ji. (Spread some rice in a square shape on the plate, wrap molly on 9 betel nuts, and keep 9 lumps of turmeric and 9 coins in order of 3-3.)
  • पूजन के लिए दूर्वा,अक्षत, चन्दन, पीले, सफेद, लाल पुष्प, मौसमी फल एकत्र करें, सात्विक और ताज़ा भोजन बनाएं, जैसे खीर-पूरी। इसके साथ ही मौसमी फसल जैसे- बेर, आंवला, सरसों, गेंहू की बाली भी पूजा में रखें।
  • Collect durva, akshat, sandalwood, yellow, white, and red flowers, and seasonal fruits for worship, and prepare satvik and fresh food, like kheer-puri. Along with this, keep seasonal crops like plum, amla, mustard, and wheat ear in worship.
  • हाथ धुलकर ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः कहकर 3 बार आचमन करें।
  • Wash your hands and perform aachamana 3 times saying Om Keshavaya Namah, Om Madhavaya Namah, Om Narayanaya Namah.
  • जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से अपनी आसन के नीचे पृथ्वी पूजन करें।
  • Worship the earth under your seat with water, flowers, akshat, and sandalwood.
  • स्वयं पर और पूजा की सभी सामग्रियों पर शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर पुष्प या दूर्वा से छिड़काव करें।
  • Sprinkle Gangajal mixed with pure water with flowers or Durva on yourself and all the worship materials.
  • अब दाहिने हाथ में जल लेकर मन ही मन सभी देवी देवताओं और माता सरस्वती की पूजन करने का संकल्प लें और जल को माता के पास छोड़ें।
  • Now taking water in the right hand, take a pledge to worship all the Gods and Goddesses and Mother Saraswati and leave the water near the mother.
  • इसके बाद क्रमशः गणेश, गौरी, वरुण देव (जल कलश), नवग्रह और मां सरस्वती की सभी सामग्रियों कुमकुम, सिंदूर, चन्दन, पुष्प, आदि से पूजन करें।
  • Then worship Ganesha, Gauri, Varuna (water urn), Navagraha, and all the ingredients of Maa Saraswati with kumkum, sindoor, sandalwood, flowers, etc. respectively.
  • एक पान में सुपारी, हल्दी, सिक्का, अक्षत, नारियल, फल लेकर पूरे भाव से गौरी गणेश, नवग्रह और माँ सरस्वती को अर्पित करें। पूजन के बाद मिठाई, नैवेद्य, फल और भोजन का भोग लगाएं।
  • Take betel nut, turmeric, coin, Akshat, coconut, and fruits in a betel leaf and offer it to Gauri Ganesh, Navagraha, and Maa Saraswati with full devotion. After worship, offer sweets, naivedya, fruits, and food.
  • इसके बाद एक छोटे हवन कुंडी में गोबर के उपले या आम की लड़की की अग्नि प्रज्वलित करें और सभी देवी देवताओं के नाम से यथा शक्ति शुद्ध हवन की आहुति अर्पित करें।
  • After this, light the fire of cow dung or mango girl in a small Havan Kundi and offer pure Havan as per your strength in the name of all the Gods and Goddesses.
  • इसके बाद आरती करें, पुष्पांजलि अर्पित करें, माता की प्रार्थना करें और सभी को प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भजन-गीतों का आयोजन करें।
  • After this, perform aarti, offer floral tributes, pray to the mother and distribute prasad to all. After this organize bhajan songs.

सरस्वती पूजन मंत्र / Saraswati worship mantra

किसी भी क्षेत्र के विद्यार्थियों को सरस्वती पूजन के समय इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। / Students of any field should chant these mantras at the time of Saraswati Pujan.

  1. ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
  2. ॐ वाग्देव्यै विद्महे ब्रहप्रियाय च धीमहि, तन्नो सरस्वती प्रचोदयात्।
  3. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
  4. शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

सरस्वती जी की प्रार्थना / Prayer of Saraswati ji

सरस्वती जी की आरती / Aarti of Saraswati ji

 

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ,

अज्ञानता से हमें तार दे माँ।

 

तू स्वर की देवी, है संगीत तुझसे,

हर शब्द तेरा, है हर गीत तुझसे।

 

हम है अकेले, हम है अधूरे,

तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ।।

 

मुनियों ने समझी, है गुनियों ने जानी,

वेदों की भाषा, पुराणों की वाणी।

 

हम भी तो समझे, हम भी तो जाने,

विद्या का हमको अधिकार दे माँ।।

 

तू श्वेतवर्णी कमल पे विराजे,

हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे।

 

मन से हमारे मिटा कर अँधेरे,

हमको उजालों का संसार दे माँ।।

 

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ,

अज्ञानता से हमें तार दे माँ।।

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।

सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..


बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।

शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..


देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..


विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।

मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..


धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..


मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।

हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..


जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..


ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

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