September Prediction

सितम्‍बर राशिफल 2023

सावधान हो जाइए! शनि और बुध मचायेंगे उथलपुथल क्योंकि सितम्बर के महीने में शनि कुछ राशियों में वक्री हो रहे है, और कुछ राशि में बुध अपना प्रभाव दिखाएंगे साथ ही कुछ राशि में शुक्र का भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है जिससे ग्रहों की चाल तेजी से बदलने वाली है। ऐसे में सभी 12 राशियों पर बड़े ही रोचक प्रभाव देखे जाने वाले हैं, कुछ राशियों के लिए यह महीना खुशहाली से भरा होगा, लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं, जिनके लिए सितम्बर का यह महीना अशुभ परिणामों से भरा हो सकता है।

आइये विस्‍तार से जानते हैं सितम्‍बर 2023 कैसा होने वाला है आपकी राशि के लिये। साथ ही इस माह में आपकी राशि के लिये कुछ विशेष उपाय भी

मेष-

  • शनि कार्यक्षेत्र में वक्री हो रहे है। 
  • जॉब में Slow Progress हो सकती है । 
  • प्रशासनिक पद के लोगों के लिये बहुत अच्छा होगा। 
  • इस महीने फिजूल खर्च हो सकते है। 
  • सर्दी, खासी, बुखार हो सकता है। 
  • पिता जी के साथ बेहतर संबंध रहेंगे।
  • प्रेमी जीवन बहुत अच्छा व्यतीत होगा। 
  • विद्यार्थीयों के लिये यह माह उत्तम रहेगा। 

उपाय-ॐ हन हनुमते नमः प्रतिदिन 11 बार एवं मंगलवार को हनुमान मंदिर जरूर जायें।

वृषभ-

  • करियर में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  • इस महीने धैर्य रखने की आवश्यकता है।
  • फिजूल खर्च हो सकते है। 
  • High BP की समस्या हो सकती है।
  • परिवार का पूरा सहयोग मिलेगा।
  • प्रेमी जीवन में झगड़ा हो सकता है।
  • विद्यार्थियों को अच्छे परिणाम मिल सकते है। 

उपाय- मां दुर्गा की उपासना अवश्य करे एवं ॐ दुर्गाय नमः का जप करे। 

मिथुन-

  • कार्यक्षेत्र मे लाभ हो सकता है। 
  • जॉब मिलने के संयोग है। 
  • आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा।
  • खयाल रखें, मां का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। 
  • Students के लिये अच्छा रहेगा 

उपाय- श्री गणेश स्तुति करे 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

कर्क-

  • कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के बाद सफलता मिलेगी।  
  • जॉब में प्रमोशन मिल सकता है।
  • शनि के प्रभाव से आपके पैसे अचानक से खर्च हो सकते है। 
  • पैर में अचानक से दर्द या चोट लग सकती है।  
  • प्रेम संबंध सामान्य के साथ अच्छा रहेगा। 
  • परिवार में बुजुर्गो के साथ समय बितायें। 
  • विद्यार्थियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। 

उपाय- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप प्रतिदिन 108 बार करे। 

सिंह-

  • कार्यक्षेत्र का माहौल गंभीर हो सकता है। 
  • व्यापार में साझेदारी से लाभ होगा।
  • आर्थिक पक्ष ठीक-ठाक रहेगा। 
  • 21- 28 सितम्बर तक पार्टनर के साथ मन मुटाव हो सकता हैं। 
  • स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

उपाय- शनि का नीलांजन मंत्र 

ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् || 11 या 21 बार जप करे।

कन्या-

  • कार्यक्षेत्र में संभलकर एवं जितना हो सके शंति बनाकर रखे।
  • व्यापारियों को बदलाव करने से लाभ मिलेगा। 
  • परिवार में सबकुछ ठीक ठाक रहेगा। 
  • प्रेमी जीवन बहुत ही यागगार रहेगा। 
  • विद्यार्थियों को संघर्ष का सामना करना पड़ सकता हैं। 

उपाय-योग जरूर करे एवं चाँदी की गिलास पर सादा पानी पियें।

तुला-

  • कार्यक्षेत्र में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
  • बड़े बदलाव से बचने का प्रयास करें। 
  • केतू के प्रभाव से गलत चीजों में Involve हो सकते है।
  • आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा। 
  • वैवाहिक जीवन बच्चों की वजह से तनावग्रस्त हो सकता है।
  • परिवारिक सामंजस्य बना रहेगा।
  • पेट दर्द और Back Pain हो सकता है।
  • विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को और मजबूत कर सकते है।

 उपाय- शाम को चंद्र साधना 15 मिनिट जरूर करे।

वृश्चिक-

  • कार्यक्षेत्र में मिला-जुला परिणाम मिल सकता हैं। 
  • जॉब में बदलाव करने का मन होगा। 
  • आर्थिक पक्ष मजबूत हो रहा है। 
  • पिजा जी के साथ मनमुटाव हो सकता है। 
  • प्रेमसंबंध सामान्य रहेगा   
  • पढाई के लिये विदेश जाना हो सकता है।

उपाय- ॐ प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करे।

धनु-

  • कार्यक्षेत्र के लिये बहुत अच्छा है।
  • विदेश जाने के संयोग बन रहे है।
  • अर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा।
  • विद्यार्थी गलत दिशा में मेहनत कर रहे है। 
  • वाहन चलाने से बचे या सावधानी रखें। 

उपाय- केले के वृक्ष की पूजा करें, और पीली दालों का दान करें।

 

मकर-

  • कार्यक्षेत्र में आप तार्किक हो सकते हैं।
  • विदेश में जॉब के लिये जा सकते है।
  • घर परिवार में अधिक खर्च हो सकता है।
  • आप अकेलापन महसूस करेंगे।
  • इस महीने खर्च अधिक और कमाई कम हो सकती है
  • परिवार में सभी लोग तंदरुस्त रहेंगे ।  
  • प्रेमी संबंधो में उठापठक हो सकती है। 
  • विद्यार्थी बहुत चिंतित रह सकते है।

उपाय- सातमुखी रुद्राक्ष धारण करे एवं शनि नीलांजनम मंत्र के जप के साथ पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाये। 

 

कुंभ-

  • कार्यक्षेत्र में आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम मिल सकते है।
  • लंबी यात्रा हो सकती है। 
  • आपकी सेहत खराब हो सकती है। 
  • आर्थिक पक्ष बहुत फायदेमंद रहेगा।
  • परिवार से दूरी हो सकती है। 
  • प्रेमी संबंध खराब हो सकते हैं। 
  • विद्यार्थियों को अपनी मेहनत से अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।

उपाय- सातमुखी रुद्राक्ष धारण करे एवं हनुमानजी के मंदिर में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करे। 

मीन-

  • कार्यक्षेत्र में नई-नई जगहों पर जा सकते हैं। 
  • आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा 
  • आपको अपनी सेहत पर ध्यान देना है। 
  • वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होगा।
  • सेहत का ध्यान रखना होगा। 
  • छोटे भाई बहन की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय- ॐ गुं गुरुवे नमः का जप प्रतिदिन करे।

 

libra zodiac sign

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Welcome to the fascinating world of astrology, where the alignment of stars and planets shapes our personalities and influences every aspect of our lives. Among the twelve zodiac signs, each

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Kajri Teej 2023

kajri teej 2023 vrat ka niyam pauranik mehetav astrologer arun ji
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कजरी तीज

कजरी तीज के दिन शादीशुदा स्त्रियाँ पति परमेश्वर की लंबी आयू के लिए उपवास करती है और किशोरियाँ इस त्यौहार पर अच्छा पति पाने के लिए उपवास करती हैं।आज के दिन चने की दाल का सत्तू,जौ, चने, चावल और और उसमें घी और मेवा मिलाकर कई प्रकार के भोजन बनाते हैं। साथ ही चंद्र देव की पूजा करने के बाद उपवास तोड़ते हैं। कजरी तीज भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, और जहाँ-जहाँ पर हिंदू धर्म के अनुयायी रहते हैं वहाँ पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भगवान शिव और पार्वती के उत्साह से मनाया जाता है।

कजरी तीज की तिथि-
1सितंबर शुक्रवार, 2023 को 23:52:pm से तृतीया आरम्भ
2 सितंबर शनिवार, 2023 को 20:51:pm पर तृतीया समाप्त

पौराणिक मान्यतायें

आज के दिन शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। चंद्र देव के दर्शन के बाद भोजन करके व्रत तोड़ती हैं। इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद भोजन किया जाता है। इस दिन घर मे उत्सव का माहोल होता है घर की स्त्रियाँ आपस में एकत्रित होकर नृत्य गीत का आयोजन करती है।

पूजन की विधि

 

पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय श्रृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा इस प्रकार करें 

  1. सबसे अपने हाथ पैर धोकर नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे के साथ चावल चढ़ाएं।
  2. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए।
  3. नीमड़ी माता को कोई फल और पैसे चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर रोली अच्छे से बांधें।
  4. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और सच्चे मन से अपनी मनोकामना भगवान चंद्र देव के सामने रखें।  

कजरी तीज में व्रत का नियम

1.इस व्रत को  सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है। हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार का सेवन कर सकती हैं।
  1. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
  2. पूजन के बाद संपूर्ण उपवास अगर संभव नहीं हो तो फलाहार भी किया जा सकता है।

  3. इस दिन महिलाएं रक्षा बंधन से 15 दिन बाद अपनी सुहागिन औरत के रूप में धूमधाम से त्योहार मनाती हैं। वे पूजा-अर्चना करती हैं, भगवान शिव का व्रत रखती हैं, और शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं। उन्हें कजरी गीत गाने का भी बड़ा शौक होता है। इस दिन अपनी दोस्तों और परिवार के साथ महिलाएं सजग रहती हैं और अपने सुहाग का ख्याल रखती हैं। वे सुहागिनों के बीच में ख़ुशी और प्यार बाँटती हैं।

About The Author -

Astro Arun Pandit is the best astrologer in India in the field of Astrology, Numerology & Palmistry. He has been helping people solve their life problems related to government jobs, health, marriage, love, career, and business for 49+ years.

libra zodiac sign

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Raksha Bandhan 2023

raksha bandhan 2023 mahurat, katha, astro arun ji
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रक्षा बंधन

रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो भाई-बहन के प्रेम और बंधन का विशेष उत्‍सव है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसे विशेष उपहार देती हैं। रक्षाबंधन भाई-बहन के आपसी प्रेम का प्रतीक है, जो उनके रिश्तों को मजबूती देता है और सुरक्षित रखने का संकेत होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, रक्षाबंधन का महत्व भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के संबंध पर आधारित है। प्राचीन काल में, द्रौपदी ने विष्णु अवतार श्रीकृष्ण के साथ अपने भाई के रक्षाबंधन के रूप में राखी बांधी थी और श्रीकृष्ण ने उसकी सुरक्षा की। इस प्रकार, यह उत्सव भाई-बहन के प्यार का प्रतीक बन गया है। राखी का त्योहार प्रेम, समृद्धि और खुशी के साथ मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के साझा किए गए प्यार भरे रिश्ते का जश्न मनाता है और इसे एक विशेष परिवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव भारत और नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाता है, लेकिन विभिन्न धार्मिक समुदायों के अनुसार नाम और परंपरा में थोड़े बदलाव हो सकते हैं।
रक्षा बंधन 2023 शुभ मुहुर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10 बजकर 59 मिनट
तिथि समापन- 31 अगस्‍त सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर

भद्रा काल

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल का आरंभ भी हो जाएगा। शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व यानी रक्षाबंधन का पर्व मनाना निषेध माना गया है। इस दिन भद्रा काल का समय रात्रि 09 बजकर 02 मिनट तक होगा। इसलिए विद्वानों के अनुसर, इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उचित रहेगा।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ माना जाता है। लेकिन यदि दोपहर के समय भद्रा काल हो तो फिर भद्रा काल समाप्‍त होने के बाद प्रदोष काल में राखी बांधना शुभ होता है। ऐसे में 30 अगस्त के दिन भद्रा काल के कारण राखी बांधने का मुहूर्त सुबह के समय नहीं होगा। उस दिन रात में ही राखी बांधने का मुहूर्त है।

31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है, इस समय में भद्रा का साया नहीं है। इस वजह से 31 अगस्त को सुबह के समय आप राखी बंधवा सकते हैं। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जा सकता है लेकिन आपको भद्रा काल का ध्यान रखना होगा।
रक्षाबंधन भद्रा पूँछ – शाम 05:30 – शाम 06:31 (30 अगस्‍त) रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06:31 – रात 08:11 (30 अगस्‍त) रक्षाबंधन भद्रा अंत समय – 30 अगस्‍त रात 09:01
राखी बांधने के लिए प्रदोष काल मुहूर्त – 30 अगस्त 2023 रात 09:01 – 31 अगस्त सुबह 07:05 तक।

कौन है भद्रा? और क्या है भद्रा काल?

पुराणों के मुताबिक, भद्रा को शनिदेव की बहन और सूर्य देव की पुत्री बताया गया है।  स्वभाव में भद्रा भी अपने भाई शनि की तरह कठोर मानी जाती है। ब्रह्मा जी ने इनको काल गणना (पंचांग) में विशेष स्थान दिया है। हिंदू पंचांग को 5 प्रमुख अंगों में बांट गया है- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण  इसमें 11 करण होते हैं, जिनमें से 7वें करण विष्टि का नाम भद्रा बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन मुहूर्त में भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। माना जाता है कि भद्रा का समय राखी बांधने के लिए अशुभ होता है। इसके पीछे भगवान शिव और रावण से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है। 

भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि शूर्पनखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, और इसी के प्रभाव से रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया और रावण का अंत हुआ। इस कारण भद्राकाल में राखी नहीं बांधना निषेध बताया गया है। वहीं, ये भी कहा जाता है कि भद्रा के समय भगवान शिव तांडव करते हैं और वो काफी क्रोध में होते हैं, ऐसे में अगर उस समय कुछ भी शुभ काम करें तो उसे शिव जी के गुस्से का सामना करना पड़ेगा और उनके तांडव के प्रकोप से शुभ काम भी अशुभ होने लगेंगें।

रक्षाबंधन पूजन विधि

राखी बांधने से पहले बहन और भाई दोनों व्रत रखते हैं। ऐसा आवश्‍यक तो नहीं है लेकिन सुबह कुछ भी करने से पहले स्‍नान-ध्‍यान करके भगवान की पूजा करें और फिर भाई की कलाई में राखी बांधते हुये उसके सुखी जीवन की कामना करें और उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें, तो आपके लिये शुभ होगा। भाई को राखी बांधते समय बहन पूजा की थाली में राखी, रोली, दीया, कुमकुम अक्षत और कुछ मिठा अवश्‍य रखें। राखी बांधने से पहले भाई के माथे पर रोली, चंदन और अक्षत का तिलक लगाएं। उसकी नज़र उतारे, और फिर अपने भाई के दाहिने हाथ में राखी बांधे। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें ओर अगर भाई आपसे बड़ा है तो उसके पैर छूकर आर्शीवाद लें। वैसे कुछ स्‍थानों में भाई के पैर नहीं छूये जाते, तो आप अपनी रीतियों के अनुसार कर सकते हैं।
और हाँ अपने भाई से उपहार लेना न भूलें। 

रक्षाबंधन पर क्यों लगाया जाता है माथे पर अक्षत और कुमकुम का तिलक?

राखी पर तिलक का बहुत महत्व माना जाता है। पुराणों के अनुसार लाल चंदन, श्वेत चंदन, कुमकुम और भस्म का तिलक शुभ माना गया है। वहीं रक्षा बंधन पर कुमकुम का तिलक लगाया जाता है और कुमकुम के साथ चावल भी उपयोग तिलक के लिये किया जाता है। तिलक को माथे के बीचो-बीच लगाया जाता है। हिन्‍दु धर्म में तिलक विजय, मान-सम्मान और जीत का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला सबसे शुद्ध अनाज चावल को माना जाता है। चावल से हमारे आसपास की सारी नकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। तिलक में कच्‍चे चावल का प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है। कहा जाता है कि तिलक लगाते वक्त माथे के बीचो-बीच दवाब देना चाहिए। यह स्थान छठी इंद्री का स्‍थान माना गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, माथे के इस भाग पर दवाब देने से स्मरण शक्ति के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।

रक्षाबंधन का प्राचीन महत्व

प्राचीन काल में आरंभ हुआ रक्षाबंधन का त्योहार, जिसका आज भी उतना ही महत्व है। यह बंधन युद्ध में जाने वाले योद्धाओं के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक रहा है। राजा या सैनिक जब किसी युद्ध में भाग लेते थे, तो उनकी पत्नियां या माताएं उन्हें विजय की सूचना देने के लिए रक्षाकवच बांधती थीं, जैसे कि विजय तिलक, आरती और धागों के साथ। इससे योद्धाओं का सामर्थ्य बढ़ता और वे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते थे। समय के साथ, रक्षाबंधन ने भाई-बहन के त्योहार के रूप में भी बदलाव किया। रक्षाबंधन के पर्व में भाई-बहन के बीच प्यार और स्नेह का परिप्रेक्ष्य बढ़ता है। दूर रहने वाली बहनें भाई के लिए राखी बांधने के लिए उनके घर पहुंचती हैं, जिससे समाज में सभी के दिल में प्यार का भावना उत्पन्न होता है। रक्षाबंधन से प्रेरित होकर, वनस्पति प्रेमी अब “रक्षा बंधन” जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं और इसके माध्यम से पेड़ों की रक्षा और महत्व की दिशा में समाज को प्रेरित कर रहे हैं। इस वर्ष भी, रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में पेड़ों की सुरक्षा के लिए रक्षाबंधन के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा

कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राक्षस राज बलि से तीन कदमों में उनका सारा राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने के लिए कहा था। इस पर राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने अतिथि के रूप में पाताल लोक जाने का आदान प्रदान किया। जिसको भगवान विष्णु ने स्वीकार लिया। लेकिन जब समय बीतता गया और भगवान विष्णु न पार्वती गृहस्थ्यम लौटे, तो देवी लक्ष्मी को चिंता होने लगी। तब नारद मुनि ने देवी से सलाह दी कि वह राजा बलि को अपने भाई बनाने का प्रयास करें और उससे भगवान विष्णु को मांगने के लिए कहें। मां लक्ष्मी ने ऐसा ही किया और इस नये संबंध की पुष्टि के रूप में उन्होंने राजा बलि के हाथों में राखी या रक्षासूत्र बांध दिया।

भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत में एक प्रसंग है जब राजसूय यज्ञ के अवसर पर भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया। उनका हाथ इस क्रिया में चोट खा गया। इसी समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा कृष्ण जी की चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने उसके प्रति रक्षा का आश्वासन दिया। इस परिणामस्वरूप, जब हस्तिनापुर की सभा में दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण किया, तो भगवान कृष्ण ने उनके चीर को बढ़ा कर द्रौपदी के मान की रक्षा की।

रक्षाबंधन से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  •  रक्षाबंधन के अवसर पर भारत के बॉर्डर पर बालिकाओं और महिलाओं के द्वारा हमारे सैनिकों को राखी बांधी जाती है। ताकि देश की रक्षा में जुटे जवान भी अपनापन महसूस कर सके।

  •  ओडिशा और पश्चिम बंगाल में लोग रक्षाबंधन के अवसर पर राधा और कृष्ण जी की मूर्तियों को पालने में रख के झूला झूलाते हैं। इसलिए इस दिन को इन क्षेत्रों में श्रावण पूर्णिमा को “झूलन पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है।

  • विशेषकर मध्य भारत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कछ भागों में पुत्रवती महिलाओं द्वारा यह त्‍यौहार मनाया जाता है। जिससे महिलाओं द्वारा पत्तों के पात्र में खेत से लाई गई मिट्टी में जौ या गेहूं बोई (उगाई) जाती है। इसे इन क्षेत्रों में “कजरी पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है।

  • केरल और महाराष्ट्र में विशेषकर तटीय क्षेत्रों में रहने वाले हिंदू मत्स्य पालकों के समुदायों द्वारा सावन पूर्णिमा के दिन चावल, फूल और नारियल से सागर की पूजा की जाती है। जिसे “नारली पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है।

  • रक्षाबंधन के अवसर पर देश में प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वृक्षों की रक्षा बंधन भी किया जा रहा है। जिससे लोग प्रकृति की रक्षा के लिये प्रेरित हो सके। 

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सावन और अधिकमास

saavan adhik maas 2023 astrologer arun ji
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सावन और अधिकमास

भगवान शिव की उपासना के लिए हर एक दिन कम है, लेकिन सावन मास एक ऐसी पवित्र मासिक अवधि है जिसमें आप कुछ पुण्य कार्य करके भगवान शिव की उपासना कर सकते हैं। सावन का महीना आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत ही महत्व रखता है। प्रकृति में छाने वाली हरियाली इसकी पवित्रता की सूचक होती है।

सावन मास- सनातन हिन्दू धर्म में पंचांग के अनुसार पाँचवा माह सावन माह या श्रावण मास कहलाता है। यह प्राकृतिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत विशेष महीना माना जाता है। जिसमें वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही हमें हर तरफ खुशहाली का नज़ारा दिखता है। सनातन धर्म के पवित्र शास्त्रों में भगवान शिव की पूजन, जप और ध्यान के लिए सावन मास बहुत ही पुण्यफल देने वाला होता है। इस महीने शिवजी से जुड़े तीर्थों की यात्राएं, काँवड़ यात्राएं, रुद्राभिषेक और बड़े धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने, बेल पत्र और फूल चढ़ाने, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाने से भगवान शिव को प्रसन्नता मिलती है और मनुष्य को जीवन में शांति, समृद्धि, सुख और समाधान की प्राप्ति होती है।

अधिकमास- हिन्दू पंचांग व खगोलीय गणना के अनुसार सौर-वर्ष का मान 365 दिन, 15 घड़ी, 22 पल और 57 विपल हैं। जबकि चंद्रवर्ष 354 दिन, 22 घड़ी, 1 पल और 23 विपल का होता है। इस तरह से दोनों वर्ष के बीच  प्रतिवर्ष 10 दिन, 53 घड़ी 21 पल (लगभग 11 दिन) का अन्तर पड़ता है। इस अन्तर में समानता लाने के लिए चंद्रवर्ष 12 माह के स्थान पर 13 माह का हो जाता है। सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चन्द्रमास की वृद्धि हो जाती है। इसी को अधिक मास या अधिमास या मलमास कहते हैं।

आसान भाषा में अगर किसी वर्ष में कोई माह दो बार आए तो वह अधिकमास के रूप में जाना जाता है। हर 3 साल बाद एक अधिकमास आता है। यह किसी भी माह के लिए आ सकता है। सावन अधिकमास का सुखद संयोग 19 वर्षों बाद फिर से इस वर्ष यानि 2023 में बन रहा है, जिसमें भगवान शिव के पूजन और व्रत दो महीने तक निरंतर चलते रहेंगे। सावन अधिकमास की पवित्र अवधि में शिव जी के ध्यान और तपस्या से हम भगवान शिव को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि अधिकमास में किए गए दान, पुण्य, अनुष्ठान आदि का 10 गुना फल प्राप्त होता है। 

 

वर्ष 2023 में सावन मास- वर्ष 2023 में सावन का महीना 04 जुलाई से शुरू होकर 1 अगस्त और अधिक मास सावन 2 अगस्त से शुरू होकर 30 अगस्त तक निश्चित है। यानि इस बार सावन का महीना पूरे 58 दिनों तक मान्य होगा। भगवान शिव की पूजन के लिए सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है और इस बार पवित्र सावन के 8 सोमवार शिव और गौरी के पूजन के लिए हमें मिले हैं। इसलिए हमारे द्वारा किए गए कार्य के अनुसार उनका हम पर गहरा असर पड़ता है, यही कारण है कि सनातन परंपरा पर विश्वास करने वाले लोग सावन में शिवप्राप्ति का रास्ता उनकी पूजन और ध्यान की मदद से खोजते हैं।

आइए जानते हैं कि इन 58 दिनों में आपको भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए। 

  1. सावन मास के प्रारंभ होते ही सबसे पहले अपनी दिनचर्या को संतुलित करें।
  2. सावन माह के दौरान किसी भी तरह की बुरे विचार या काम से बचें।
  3. अगर मांसाहार, शराब, नशा आदि करते हैं तो पूर्णतः परहेज करें।
  4. प्रतिदिन भगवान शिव के नाम जप से ही दिन की शुरुआत करें और स्वयं के साथ रहें।
  5. रुद्राक्ष धारण करने के सैंकड़ों लाभ है, इस सावन अपनी राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण ज़रूर करें।
  6. सावन के सोमवार को शिव जी का व्रत अवश्य रखें, इससे आपको शारीरिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं।
  7. इस सावन माह में आध्यात्मिकता और मानवीयता के प्रति सचेत रहें और हमेशा शिव के ध्यान में रहें।
  8. इस पवित्र मौसम में, अपने मन को पवित्रता और ध्यान व योग के माध्यम से बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए।
  9. यह माह मन-मस्तिष्क की शुद्धि और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक अद्वितीय अवसर होता है।
  10. सावन के इस महीने में आपके मन में सदैव महामृत्युंजय मंत्र या शिव पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप चलते रहना चाहिए।

सावन 2023 में आपके लिए विशेष- सावन के पावन महीने में आपको कुछ विशेष सामग्री से शिव अभिषेक करना चाहिए। शिव अभिषेक से न केवल आपके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है बल्कि आपमें मौजूद बुराइयों और असंगतियों का भी अंत होता है। शिव महापुराण के अनुसार संसार में मौजूद हर एक कण में शिव बसते हैं इसलिए प्रकृति के अलग-अलग तत्वों व पदार्थों से शिवाभिषेक और पूजन करना आपके जीवन के लिए बहुत लाभकारी और फलदायक  होता है।

आइए जानते हैं आपको अपनी राशि के अनुसार सावन 2023 में किस मुख्य पदार्थ से शिवाभिषेक करना चाहिए।

मेष-

मेष राशि वालों को सावन माह में भगवान शिव के अभिषेक के लिए गाय के शुद्ध और ताज़े दूध का उपयोग करना चाहिए। सावन सोमवार या सावन के हर दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से ध्यान एवं मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। मेष राशि वालों को मंदिर या किसी पवित्र धार्मिक स्थल पर हर दिन सेवाकार्य ज़रूर करना चाहिए।

वृषभ-

  • वृषभ राशि के लोगों को सावन माह में गाय के शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करना लाभप्रद है। वृषभ राशि वालों को सावन के मंगलवार को पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाने से भी धन और सुख की प्राप्ति होती है। आपको इस सावन मास में वृक्षारोपण का कार्य प्रतिदिन करना चाहिए।

मिथुन-

मिथुन राशि के लोगों के लिए सावन माह में आंवले के रस से अभिषेक करना चाहिए। इससे आपकी मानसिक दशा स्थिर और केंद्रित होती है। साथ ही, सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर घी का चढ़ावा करने से बुद्धि और वाणी की समृद्धि होती है। आपको सावन के पावन महीने में छोटे गरीब बच्चों की शिक्षा प्राप्ति के लिए यथासंभव कार्य जरूर करने चाहिए।

कर्क-

कर्क राशि वालों के लिए सावन माह के सोमवार को शहद का अभिषेक करना अत्यंत लाभकारी होता है। सावन माह में प्रत्येक दिन शिवलिंग पर दूध और शहद चढ़ाने से भी व्यावसायिक समृद्धि और परिवार में खुशहाली मिलती है। श्रावण में आपको वृद्धाश्रम जाकर वृद्ध जनों की सहायता, दान आदि करके उन्हें अपना समय ज़रूर देना चाहिए।

सिंह-

सिंह राशि वालों को सावन माह में शर्करा युक्त पानी से अभिषेक करना चाहिए है। खासकर विद्यार्थियों को यह अभिषेक ज़रूर करना चाहिए। इससे आत्मविश्वास में तेजी से वृद्धि होती है। सावन के सोमवार को शर्करा युक्त दूध चढ़ाने से सामर्थ्य बढ़ता हैं और सफलता प्राप्त होती है। श्रावण के प्रति दिन आपको गाय की सेवा करनी चाहिए।

कन्या-

कन्या राशि के लोगों के लिए सावन माह में शुद्धि और पवित्रता पाने के लिए गंगाजल, नर्मदा जल या किसी भी तीर्थ के जल का अभिषेक करना उपयुक्त होता है। सावन के प्रतिदिन ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य और सामरिक संपन्नता मिलती है। सावन में आपको बीमार मरीजों की सहायता के लिए मदद जरूर करनी चाहिए। 

तुला-

तुला राशि वालों को सावन माह में दही से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। ध्यान रखें कि दही अशुद्ध न हो और घर में निर्मित हुआ हो। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करने पर जीवन में सुख-शांति और प्रेम की प्राप्ति होती है। आपको इस सावन मास में मंदिरों में जाकर सेवाकार्य ज़रूर करना चाहिए।

वृश्चिक-

वृश्चिक राशि के लोगों द्वारा सावन माह में सरसों के तेल से अभिषेक किया जा सकता है। ऐसा करने से स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि सुगम बने रहते हैं। सोमवार को शिवलिंग पर महामृत्युंजय मंत्र से सतत जाप के साथ सरसों का तेल का अभिषेक करने से धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सावन माह में आपको किताबों का दान करना चाहिए।

धनु-

धनु राशि के लोगों के लिए सावन माह में ज्ञान और साधना की प्राप्ति के लिए चंदन युक्त शुद्ध जल का अभिषेक उपयुक्त होता है। साथ ही सोमवार को शिवलिंग पर मीठा तेल का चढ़ावा करने से भी धनु राशि वालों को ज्ञान, बुद्धि, और संतान की प्राप्ति होती है। सावन मास मे आपको बेज़ुबान पशुओं के लिए सहायता पूर्ण कार्य करना चाहिए। 

मकर-

मकर राशि वालों के लिए सावन माह में सामरिक संपन्नता और स्थायित्व के लिए गुलाबजल और उबटन का अभिषेक किया जा सकता है। सोमवार को शिवलिंग पर गुलाबजल और उबटन चढ़ाने से मकर राशि वालों को स्थिरता, सफलता, और आर्थिक वृद्धि मिलती है। इस सावन आपको भूखों को भोजन जरूर करवाना चाहिए।

कुंभ-

कुंभ राशि के लोगों को गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक सावन माह में करना चाहिये। सच्चे भाव और समर्पण भाव से अभिषेक करने से सभी मनोकामनायें पूरी होती है। सोमवार के दिन अभिषेक सम्पन्न करने के बाद असहायों को वस्त्रों का दान करें।

मीन-

  • मीन राशि के लोगों के लिए सावन माह में मन की शुद्धि के लिए इत्र या अन्य सुगंधित द्रव्यों से युक्त जल का अभिषेक उपयुक्त होता है। सोमवार को शिवलिंग पर गंध और जल का चढ़ावा करने से मीन राशि वालों को मन की शांति, समृद्धि, और आत्मसंयम मिलता है। आपको सावन मास में चांदी की धातु का दान जरूर करना चाहिए।

भगवान भोलेनाथ के यह प्रमुख अभिषेक और उपयोगी उपाय आपके राशि के अनुसार सावन माह में आपकी आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध करने में मदद कर सकते हैं। ध्यान और श्रद्धा के साथ इन अभिषेकों को पूर्ण करना चाहिए। यह आपके आत्मिक विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

|| हर हर महादेव ||

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July Rashifal 2023

july prediction 2023 by astrologer arun pandit ji

जानिये आपकी राशि के लिये कैसा होगा यह माह

सावधान हो जाइए! शिव का होगा तांडव या शनि दिखायेंगे तेवर…क्योंकि जुलाई के महीने में  सावन और शनि का वक्री होना एक साथ दिखाई दे रहा हैं जिससे ग्रहों की चाल तेजी से बदलने वाली है। ऐसे में सभी 12 राशियों पर बड़े ही रोचक प्रभाव देखे जाने वाले हैं, कुछ राशियों के लिए यह महीना खुशहाली से भरा होगा, लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं, जिनके लिए जुलाई का यह महीना अशुभ परिणामों से भरा हो सकता है।

 

लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है… क्योंकि देश के बेस्ट एस्ट्रोलॉजर Astro Arun Pandit सभी 12 राशियों पर किये गहन अध्ययन के बाद आपके लिए लेकर आ रहे हैं जुलाई महीने का सटीक राशिफल और सनातन शास्त्रों में बताये गए वे प्रभावी उपाय जिन्हें अपनाकर आप किसी भी तरह के अशुभ परिणामों से आगाह होकर छुटकारा पा सकते हैं।

मेष-

  • कार्यक्षेत्र में धीमी गति रहेगी।
  • इस महीने मान सम्मान में वृद्धि होगी। 
  • आर्थिक पक्ष ठीक है, लेकिन चोरी होने की संभावना रहेगी।
  • स्वास्थ्य को लेकर श्‍वसन संबंधी बीमारी हो सकती हैं।
  • परिवार में पिता जी से मनमुटाव हो सकता हैं।
  • पूरे महीने आप Anxiety के शिकार हो सकते हैं।

उपाय- हनुमान अष्टक का पाठ करें। गाय की पूजा करें।

वृषभ-

  • कार्यक्षेत्र में संघर्ष और बहुत अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
  • पेट का दर्द, कब्ज़ और बालों का झड़ना जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं।
  • आर्थिक पक्ष में मुनाफा कम रहेगा लेकिन व्यापार में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
  • विद्यार्थियों का रुका हुआ रिजल्ट अभी जारी हो सकता हैं।
  • माता-पिता को अपने बच्चों से कोई खुशखबरी मिल सकती हैं।

 

उपाय- माँ लक्ष्मी की पूजा करें और ‘श्री’ सूक्तम का पाठ हर शुक्रवार करें।

मिथुन-

  • कार्यक्षेत्र में सकारात्मक बदलाव हों सकता है।
  • बिज़नेस में फ़ायदा हो सकता है।
  • अचानक से धन लाभ के योग दिखाई दे रहे है।
  • इस महीने आप तंदरुस्त और ऊर्जावान महसूस करेंगे।
  • विद्यार्थियों को अपने परिजनों या शिक्षकों से प्रसंशा मिल सकती है।

उपाय- गाय को चारा खिलाएं।

कर्क-

  • इस महीने आपके मान सम्मान में कमी होगी।
  • नौकरी पेशा व्यक्ति अपनी जॉब चेंज कर सकते हैं।
  • आर्थिक पक्ष थोड़ा कमजोर रहेगा।
  • इस महीने आप बहुत अधिक खर्च कर सकते हैं।
  • विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत उत्साहित हो सकते हैं। 

उपाय- ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का जाप  प्रतिदिन 51 बार करें।

Moon Stone Bracelet धारण करें।

सिंह-

  • इस महीने कार्यक्षेत्र में आप तेज़ और ऊर्जावान रह सकते हैं।
  • व्यापार में फ़ायदा हो सकता है।
  • आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा।
  • आंखों में दर्द, बैक पेन और घुटनें का दर्द हो सकता है।
  • विद्यार्थियों के लिए यह महीना सामान्य रहेगा।

 

उपाय- प्रतिदिन शिवजी का जलाभिषेक करें।

कन्या-

  • कार्यक्षेत्र में पार्टनरशिप के साथ मनमुटाव हो सकता है।
  • जॉब में तनाव, वर्क लोड का बढ़ सकता है।
  • पाचन तंत्र को लेकर सतर्क रहें।
  • सेहत का बहुत ध्यान रखें।
  • अपने जीवन साथी की बातों को सुनें और समझे, फिर कोई निर्णय लें।
  • परिवार में किसी और की गलती का ठीकरा आपके ऊपर फूट सकता है।

उपाय- ‘ॐ केतवे नमः’ मंत्र का जाप  प्रतिदिन 41 बार करें।
दिन की शुरुवात मां दुर्गा की पूजन के साथ करें।

तुला-

  • कार्यक्षेत्र में वरिष्ठ अधिकारियों की वजह से तनाव पैदा हो सकता हैं।
  • राहु – केतु के गोचर से कार्यक्षेत्र में प्रतिकूल स्थिति रहेगी।
  • बिजनेस से जुड़े जातक को फ़ायदा हो सकता है।
  • आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा। 
  • प्रेमी संबंधों में तकरार देखने को मिल सकती है। 
  • विद्यार्थी अपने जीवन में समन्वय और नई-नई चीजे सीख सकते हैं।  
 उपाय- शिव तांडव स्त्रोतं का प्रति सोमवार पाठ करें। पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें।  

वृश्चिक-

  • कार्यक्षेत्र में मिला जुला फल प्राप्त होगा। 
  • कार्यक्षेत्र, जॉब या बिज़नेस में स्थान परिवर्तन करने के संयोग बन सकते हैं।
  • आर्थिक पक्ष में अधिक खर्च खासकर ट्रैवलिंग में हो सकता है। 
  • आप अपने कार्य में ध्यान देकर कार्यक्षेत्र में और अधिक निखार ला सकते हैं।
  • विद्यार्थीयों के लिए सामान्य स्थिति रहेगी । 
  • स्वास्थ्य और रिलेशनशिप अच्छा रहेगा।
उपाय- पूरे सावन व्रत रखें। 

धनु-

  • इस महीने आप कड़ी मेहनत से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।
  • आप शेयर मार्केट में पैसा न लगाए क्योंकि नुकसान होने की संभावना हैं। 
  • विद्यार्थीयों को अपनी Skill में अधिक ध्यान देना फायदेमंद रहेगा  । 
  • अपने पार्टनर के साथ लड़ाई झगड़े हो सकते हैं। 
  • नौकरी पेशा और व्यापार के लिए ये महीना शुभ रहेगा।
  • परिवार का पूरा सहयोग मिलता रहेगा। 
  • आपकी हेल्थ तंदरुस्त और ऊर्जावान रहेगी । 
उपाय- ‘ॐ गुरुवे नमः’ मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन या गुरुवार को करें। 

मकर-

  • शनि की ढैया परेशान कर सकती है।  
  • कार्यक्षेत्र को लेकर आपके मन में परिवर्तन करने की स्थिति रहेगी।  
  • कुछ बड़ा फैसला लेने से पहले बहुत सोचना अच्छा रहेगा। 
  • धन दौलत को लेकर आपको discipline तय करने होगें नहीं तो शनि देव समस्या खड़ी कर सकते हैं।
  • प्रेमसंबंध में मनमुटाव होते हुए दिखाई दे रहे हैं।
  • पेट, आँखे और बालों से संबंधित समस्या हो सकती है।
  • विद्यार्थियो के लिए अपने लक्ष्य को लेकर भटकाओ रहेगा । 

उपाय- शनि मंदिर जाकर शनि मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप करें।

कुंभ-

  • कार्यक्षेत्र में अचानक से कोई नया कार्य मिल सकता है। 
  • व्यापार में No Profit / No Loss रहेगा।
  • ये लोग अपने आप में खुश रहने वाले होते हैं।
  • थोड़ा बहुत पैरों पर दर्द हो सकता है।
  • परिवार में पिता जी के साथ मन मुटाव हो सकता है। माता जी से प्यार मिलेगा।
  • आर्थिक पक्ष ठीक रहेगा।  
  •  विद्यार्थी अपनी फील्ड को बदल सकते हैं।

उपाय- ‘ॐ नमो नारायणाय नमः’ मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार करें।

मीन-

  • कार्यक्षेत्र में बहुत प्रकार के उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
  • आप जिस पर विश्‍वास कर रहे थे उस व्यक्ति से आपको धोका मिल सकता है।
  • व्यापारी वर्ग को फ़ायदा मिल सकता है।
  • नौकरी पेशा वाले व्यक्ति धीरज रखें।
  • आर्थिक पक्ष बहुत मजबूत रहेगा, व्यापार में लाभ के संयोग है।
  • परिवार में पिता जी के साथ मनमुटाव हो सकता है।
  • Lungs और Stomach की समस्या का सामना कर सकते हैं।
  • प्रेम संबंधो में शुरुवात में ठीक है, फिर बाद में उलझन आ सकती हैं।
  • विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत भ्रमित हो सकते हैं।
उपाय- सावन सोमवार का व्रत करें। शिव मंदिर जाकर जलाभिषेक करें।  
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भगवान शिव की लाड़ली देवी अहिल्या बाई।

भारत की धरती पर आपने कई महापुरुषों का नाम तो सुने हैं, जिन्होंने देश के लिए बड़े त्याग और समर्पण किये है। लेकिन ऐसी बहुत नारी शक्तियां भी भारत में हुई हैं, जिन्होंने समाज और देश के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किये हैं, जैसे महारानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती, सावित्री बाई फुले, सरोजिनी नायडू, किट्टूर चेनम्मा आदि। इतिहास के पन्नों से एक और बड़ा नाम निकल कर आता है देवी अहिल्याबाई होल्कर का, 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चोंडी में जन्मीं एक ऐसी नारिशक्ति जिन्हें आज पूरे भारत में देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अहिल्या बाई मध्यप्रदेश के मालवा और इंदौर रियासत को विश्व प्रसिद्ध करने वाली महान नारी हैं। उनके दूसरों की भलाई के लिए किए कार्यों, स्वार्थहीनता और समर्पण भाव की वजह से लोग उन्हें भगवान मानते है।

आइए देवी अहिल्या बाई के बारे में विस्तार से जानते हैं-

भगवान शिव की भक्त देवी अहिल्या-

  • देवी अहिल्या बाई भगवान शिव की बहुत बड़ी उपासक रहीं। उनकी सभी राजाज्ञाओं पर ‘श्री शंकर आज्ञा’ लिखा रहता था।
  • उनका मत था कि सत्ता मेरी नहीं, सम्पत्ति भी मेरी नहीं जो कुछ है भगवान का है और उसके प्रतिनिधि स्वरूप समाज का है। इस प्रकार उन्होंने समाज को भगवान का प्रतिनिधि माना और समाज को ही अपनी सारी सम्पदा सौंप दी।
  • वे अपने समय में ही इतनी श्रद्धास्पद बनीं कि समाज ने उन्हें अवतार मान लिया। अंत समय राजसी वैभव त्यागकर महेश्वर में रहकर उन्होंने भगवान शिव की उपासना की और वहाँ रहकर भी हमेशा सभी की समस्याएं सुलझाईं।
  • उन्होंने कई तीर्थों में मंदिर निर्माण करवाये और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए अनेकों कार्य किये, पवित्र नदियों के किनारों पर सैंकड़ों घाटों का निर्माण करवाए।
  • उन्होंने मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिरों के सुधार कार्य, पुनर्निर्माण और उन मंदिरों में शास्त्र विधान से पूजन-पाठ फिर से शुरू करवाया।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण और शिवलिंग स्थापना का श्रेय देवी अहिल्या को ही जाता है। भगवान शिव की कृपा के चलते ही उन्होंने अपने जीवन में आने वाली हर नकारात्मकता को हराकर विजय पाई थी।

शिवभक्ति में छुपा है देवी अहिल्या की सफलता का रहस्य-

देवी अहिल्या बाई की सफलता का रहस्य उनकी शिवभक्ति रही। राजनीति में उनके खिलाफ़ हजारों षड्यंत्र हुए, कोई प्रबल मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ, अपने पति, ससुर, बेटे और कई अपनों का साथ छूट जाने के बाद अकेले रह जाने के बाद भी वे एकाग्र रहीं और अपने कार्यों के चलते महानता को प्राप्त हुईं। देवी अहिल्या के बारे में विस्तार से समझने के बाद यह एहसास होता है कि भगवान शिव की भक्ति, दृढ़ विश्वास और शास्त्र के नियमों के आधार पर अपनी दिनचर्या के चलते ही उन्हें आज सभी देवी का दर्जा देते हैं। देवी अहिल्या बाई के पूरे जीवन से हमें भी भगवान शिव की कृपा का पात्र बनने की सीख मिलती है। अहिल्या बाई की विशेषताओं में उनकी दिनचर्या, शिवजी पर अटूट विश्वास, स्वार्थहीन चरित्र, कुशल नेतृत्व, खराब परिस्थिति में भी सही फैसले लेना, राजनीति में पारंगत, समाज कल्याण की भावना, और समर्पण भाव थी जो हमें जीवन जीने के सही मायने सिखाता है।

हिन्दुत्व के लिए देवी अहिल्याबाई के कार्य-

देवी अहिल्याबाई (1725-1795) को धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए पुण्यश्लोक भी कहा जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के लिए अनेक ऐसे कार्य किये जिनके बारें में कोई राजा भी नहीं सोच सकता था।

  • देवी अहिल्या बाई ने मुगलों के अत्याचारों के शिकार हुए भारत के अनेक तीर्थ स्थलों और अनेक स्थानों पर 100 से भी अधिक मंदिर बनवाएं, वहां तक पहुँचने के लिए मार्ग निर्माण करवाया।
  • हिमालय से लेकर दक्षिण राज्यों तक उन्होंने धर्म यात्रियों के लिए कुएं, जलाशय और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।
  • बद्रीनाथ, द्वारिका, गया, ओंकारेश्वर, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम जैसे महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थों में देवी अहिल्या बाई ने कई दान पुण्य और निर्माण कार्य करवाये।
  • औरंगजेब के द्वारा तोड़े गए काशी विश्वनाथ मंदिर का 1780 में पुनर्निर्माण और शिवलिंग की स्थापना भी देवी अहिल्या बाई ने ही कारवाई थी।

देवी अहिल्या कैसे बनी प्रजा की माता-

  • देवी अहिल्या बाई ने शासन संभालने से लेकर जीवन केअंत तक अपनी प्रजा के हित के लिए इतने कार्य किये कि पूरी प्रजा उन्हें अपनी माता समझती थी। उन्होंने कई अस्पताल और घाटों का निर्माण करवाया।
  • अपने शासन काल में उन्होंने अपने क्षेत्र से डाकू और पिंडारियों को जंगल की सुरक्षा सेना में बदलकर न केवल आतंक को खत्म किया बल्कि आम इंसान के सुकून के लिए उन्होंने बहुत साहसिक कार्य भी किया था।
  • राज्य की स्त्रियों को अस्त्र-शस्त्र से शिक्षित कर पहली बार किसी राज्य में स्त्री सेना का निर्माण अहिल्या बाई ने ही करवाया।
  • उनके रहते कभी भी मालवा में किसी तरह का बाहरी आक्रमण नहीं हुआ। इसके विपत्रीत संकट की परिस्थिति में आसपास के शासक देवी अहिल्या की मदद के लिए तत्पर रहते थे।
  • जब वे शासन में आई उस समय राजाओं द्वारा प्रजा पर अनेक अत्याचार हुआ करते थे, गरीबों को अन्न के लिए तरसाया जाता था और भूखे प्यासे रखकर उनसे काम करवाया जाता था। उस समय अहिल्याबाई ने गरीबों को अन्न दान की योजना बनाई और गरीबों के लिए अपने हर कार्य में सफल भी हुई।
अपने तेज, सेवा भावना, अद्भुत विचारों और प्रजा सम्मान की वजह से अहिल्याबाई को लोग माता की छवि मानते थे और उनके जीवनकाल में ही उन्हें देवी के रूप में पूजने लगे थे। स्वयं को छोड़कर दूसरों के हित के लिए जीने वाली माँ के समान देवी अहिल्या बाई का महेश्वर में 13 अगस्त 1795 के दिन 70 वर्ष की उम्र में परलोक गमन हो गया। वे चल बसीं लेकिन उनके किये कार्यों और उनकी महानता को आज भी गर्व से याद किया जाता है।

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